बकरीद कब और क्यों मनाया जाता है।
1 min readमहराजगंज,बकरीद की तारीख चांद के दिखने पर निर्धारित होती है। 19 जून 2023 को भारत के कुछ हिस्सों में चांद का दीदार हुआ है। चांद के दीदार होने के दसवें दिन बकरीद मनाई जाती है, लिहाजा इस साल यह त्योहार 29 जून 2023 को मनाया जाएगा। बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है। ईद-उल-अजहा का अर्थ कुर्बानी वाली ईद से है। ईद-उल-फितर के बाद ये इस्लाम धर्म का दूसरा बड़ा त्योहार है। ये त्योहार रमजान महीने के खत्म होने के 70 दिन बाद बनाया जाता है। इस त्योहार को कुर्बानी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। मुस्लिम समाज के लोगों के लिए बकरीद का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण होता है। बकरीद मनाने के पीछे हजरत इब्राहिम के जीवन से जुड़ी हुई एक बड़ी घटना है। ऐसे में आइए जानते हैं बकरीद क्यों मनाते हैं और इसका इतिहास क्या है।
इस्लाम धर्म के अनुसार हजरत इब्राहिम खुदा के बंदे थे। खुदा में उनका पूर्ण विश्वास था। कहा जाता है कि अल्लाह ने एक बार पैगंबर इब्राहिम से कहा था कि वह अपने प्यार और विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज का त्याग करें। इसके बाद पैगंबर इब्राहिम ने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया।इसके बाद जब पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे की कुर्बानी देने जा रहे थे तभी अल्लाह ने उनके बेटे को बचा लिया और उसकी जगह पशु को कुर्बान कर दिया। तभी से बकरीद का त्योहार पैगंबर इब्राहिम को याद करने के लिए मनाया जाता है।
मुस्लिम समाज के लोग हर साल इस त्योहार को बकरे की कुर्बानी देकर मनाते हैं। बकरीद के दिन बकरे को तीन भागों में बांटा जाता है, पहला भाग रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों को दिया जाता है। दूसरा हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों और तीसरा परिवार के लिए होता है।
ईद और बकरीद में क्या अंतर है ?
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार साल में दो बार ईद मनाई जाती है। एक ईद-उल-जुहा और दूसरी ईद-उल-फितर। ईद-उल-फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है। इसे रमजान को खत्म करते हुए मनाया जाता है। वहीं मीठी ईद के करीब 70 दिन बाद ईद-उल-अजहा यानी बकरीद मनाई जाती है।
क्राइम ब्यूरो महराजगंज AIN भारत NEWS कैलाश सिंह