September 21, 2025 18:38:39

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सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल क्यों साइकिल का एहसान चुकाने के लिए मुलायम ने सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल रख दिया

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सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल 🚲क्यों

साइकिल का एहसान चुकाने के लिए मुलायम ने सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल रख दिया

मुलायम सिंह यादव को इनकाउंटर में मारने का निर्देश विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1981-1982 में दिया था। मुलायम सिंह यादव ने ज्यों इटावा पुलिस में अपने सूत्र से यह सूचना पाई कि उन के इनकाउंटर की तैयारी है तो उन्हों ने इटावा छोड़ने में एक सेकेण्ड की भी देरी नहीं की।

 

जो उत्तर प्रदेश पुलिस इनकाउंटर के लिए खोज रही थी , वही पुलिस उनकी सुरक्षा में लग गई….

 

भागने के लिए कार , जीप , मोटर साइकिल का सहारा नहीं लिया। एक साइकिल उठाई और गांव-गांव , खेत-खेत होते हुए , किसी न किसी गांव में रात बिताते हुए , चुपचाप दिल्ली पहुंचे , चौधरी चरण सिंह के घर।

 

चौधरी चरण सिंह के पैर पकड़ कर लेट गए। कहा कि मुझे बचा लीजिए। मेरी जान बचा लीजिए। वी पी सिंह ने मेरा इनकाउंटर करवाने के लिए आदेश दे दिया है।

 

इधर उत्तर प्रदेश पुलिस मुलायम सिंह को रेलवे स्टेशन , बस स्टेशन और सड़कों पर तलाशी लेती खोज रही थी। खेत और मेड़ के रास्ते , गांव-गांव होते हुए मुलायम इटावा से भाग सकते हैं , किसी ने सोचा ही नहीं था।

 

लेकिन मुलायम ने सोचा था अपने लिए इससे सेफ पैसेज हो ही नहीं सकता था। अब जब मुलायम सिंह यादव , चौधरी चरण सिंह की शरण में थे तो चौधरी चरण सिंह ने पहला काम यह किया कि मुलायम सिंह यादव को अपनी पार्टी के उत्तर प्रदेश विधान मंडल दल का नेता घोषित कर दिया।

 

विधान मंडल दल का नेता घोषित होते ही मुलायम सिंह यादव को जो उत्तर प्रदेश पुलिस इनकाउंटर के लिए खोज रही थी , वही पुलिस उनकी सुरक्षा में लग गई।

 

तो भी मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश में अपने को सुरक्षित नहीं पाते थे।

मारे डर के दिल्ली में चौधरी चरण सिंह के घर में ही रहते रहे। जब कभी उत्तर प्रदेश विधान सभा का सत्र होता तब ही वह अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ महज हाजिरी देने और विश्वनाथ प्रताप सिंह को लगभग चिढ़ाने के लिए विधान सभा में उपस्थित होते थे। लखनऊ से इटावा नहीं , दिल्ली ही वापस जाते थे।

 

संयोग था कि 28 जून , 1982 को फूलन देवी ने बेहमई गांव में एक साथ 22 क्षत्रिय लोगों की हत्या कर दी। दस्यु उन्मूलन अभियान में ज़ोर-शोर से लगे विश्वनाथ प्रताप सिंह को इस्तीफ़ा देना पड़ा। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गई तो मुलायम सिंह यादव की जान में जान आई।

 

साईकिल के इसी एहसान को चुकाने के लिए मुलायम ने उसे अपना चुनाव चिन्ह बनाया !!

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