शिक्षक दिवस के रूप में याद किए गए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
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शिक्षक दिवस के रूप में याद किए गए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
क्षेत्रीय संवाददाता
थरवई/डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर क्षेत्र के सभी विद्यालयों ने बड़े ही हर्षोल्लास के साथ शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया।मानव जीवन में शिक्षा के अधिकार को दिलाने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण जी ने अपना सर्वोच्च योगदान शिक्षा के क्षेत्र में भारतीयों को दिया ,आज उसी की बदौलत प्रतेक स्थानों पर शिक्षा के आदान-प्रदान से मानव सभ्यता संस्कृति का विकास संभव हो सका है। गुरु शिष्य की परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। गुरु को समझना संभव नहीं गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि- मही धरती कागद करु,लेखन करु वनराज। सात समुंदर स्याही करु , फिर भी गुरु गुन लिखो न जाय।।
क्षेत्र के सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण के चित्र पर पुष्प माला अर्पित कर दीप जलाकर बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया। शिक्षकों ने शिक्षा जगत की नई नीति का वर्णन करते हुए उपलब्धियों का वर्णन करते हुए चांद पर सफल लेंडिंग की कहानी बच्चों को सुनाकर नई। जानकारियों के प्रति बच्चों को उत्साहित किया गया, वही सामान शिक्षा का हवाला देते हुए कुछ संस्थाओं में सुचारु रुप से एक ही शिक्षा प्रणाली की मंजूरी पर बल दिया। भारत के वीर जवानों अमर सपूतों की कहानी को पुनः पाठ्यक्रम में शामिल होने का वर्णन किया। शिक्षक दिवस पर प्रकाश डालते हुए सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्म कि कहानी बच्चों को सुनाई गई । राधाकृष्णन देश के पहले उप राष्ट्रपति थे। जिन्हें किताबों को पढने का बहुत ही शौक था। राधाकृष्ण का जन्म 5 सितंबर सन 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ज्यादा रुचि थी। इन्हे भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। 1962 में जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला तो। छात्रों 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे। जिस पर उन्होंने छात्रों से समाज में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को बताने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। डॉ. राधाकृष्णन ने एक बार कहा था कि “शिक्षकों को देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाला होना चाहिए।” स्कूली छात्रों के लिए यह दिन उत्सव का दिन होता है। इस दिन बच्चे चॉकलेट और मिठाइयां व अन्य तरह की ग्रीटिंग भी टीचर्स को देते हैं। इस दिन छात्र अपने शिक्षकों के लिए स्कूलों और कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजित करते हैं। उसी क्रम में 5 सितंबर के दिन प्राथमिक विद्यालय रामपुर दुवारी में शिक्षक दिवस का आयोजन कर बड़े ही भव्य तरीके से मनाया गया।मौके पर उपस्थित मुख्य अतिथि राम सजीवन द्विवेदी ने शिक्षा के प्रति बच्चों को जागरूक किया वहीं विशिष्ट अतिथि रामेन्द्र भूषण शिक्षक सेवानिवृत्ति ने बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया साथ ही पहले की शिक्षा नीति और अबकी शिक्षा नीति में कितना बदलाव आया आदि पर चर्चाएं की। एआरपी सोरांव पंकज त्रिपाठी व एआरपी सोरांव सुरेश त्रिपाठी ने भी कार्यक्रम में पहुंचकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और उपस्थित सभी बच्चों को शिक्षक दिवस क्यूँ मनाया जाता है शिक्षा जगत बच्चों के भविष्य के लिए किस प्रकार उनके जीवन को निखारता है आदि पर विस्तार पूर्वक चाचाएँ की। उपस्थित लालता प्रसाद ने भी बताया की शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो बच्चों का भविष्य उन्ही शिक्षकगणों से शिक्षा प्राप्त होती जो आगे चलकर कोई डॉक्टर कोई इंजीनियर आदि हर क्षेत्रों में बढ़ते हैं। वहीं मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पहुंचे सोरांव ब्लॉक खंड शिक्षा अधिकारी शैलपति यादव भी शिक्षक दिवस के इस कार्यक्रम में पहुंचकर गौरव बढ़ाया। साथ ही विशिष्ट अतिथि में सुनीति बाला, लालता प्रसाद, एआरपी सुरेश त्रिपाठी, एआरपी पंकज त्रिपाठी, व्यायाम शिक्षक बृजेश यादव ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना अमूल्य समय दिया। शिक्षक में दयानंद मिश्र, अमरेश राय, इंदु मिश्रा आदि मौजूद रहे।
क्षेत्र के कई अन्य विद्यालयों जैसे कंपोजिंग विद्यालय पडिला व जैतवारडीह, प्रथमिक बिद्यालय हरीरामपुर, विशप हांटमन गंज, स्प्रिंगर स्कूल, स्वामी विवेकानंद विधाश्रम, राम दुलारे पाल इंटर कॉलेज जैसी छेत्र के सभी विद्यालय में जन्म उत्सव एवं शिक्षक दिवस का कार्यक्रम संपन्न रहा।