जनपद मिर्जापुर मेंमं त्री ने पूछा-‘सड़कों का स्वागत गड्ढे क्यों कर रहे?
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जनपद मिर्जापुर मेंमं त्री ने पूछा-‘सड़कों का स्वागत गड्ढे क्यों कर रहे?
नर्सरी के बच्चों की तरह जवाब-‘सर, ठीकेदार मेरी बात सुनता ही नहीं
नाराज मन्त्रियों को डिफिट देनेका बना DPR
ठीकेदारं शरणं गच्छ’ का मन्त्र जाप शुरू
मिर्जापुर। ‘रिश्वत लेते पकड़े गए और रिश्वत देकर छूट गए’ कविता पंक्ति यथार्थ रूप में साकार होते प्रायः दिखती है। नम्बर-2 से अकूत कमाई का यह भी प्रभाव होता है कि यदि यदा-कदा कोई कार्रवाई होती है तो कभी कार्रवाई करने वाले उच्चपदस्थ की अभ्यर्थना ‘पत्रं-पुष्पं’ कर दी जाती है। इस स्तर पर बात नहीं बनी तो कानून की पेंचदगियों में मामले को उलझाकर तथा अदम- पैरवी की इंजीनियरिंग कर लाभ ले लिया जाता है और कभी सत्ता-शासन से जुड़े लोगों की गणेश-परिक्रमा कर ‘लाभालाभौ जयाजयो’ का वरदान भी ले लिया जाता है। ‘लाभालाभौ’ का अर्थ लाभ+अलाभ है। यानी लाभ में अलाभ को बदल देना। आशय यह कि अलाभ यानी जो क्षति हो रही है, इसे येन-केन- प्रकारेण रौंद कर लाभ की फसल पैदा करना भी कहा जा सकता है।
साम-दाम-दंड-भेद की नीति
ताज़ा मामला यहां के PWD से जुड़ा बताया जा रहा है। गत दिनों PWD के मंत्री श्री जितिन प्रसाद यहां आए थे। उनके आगमन पर उत्तर प्रदेश सरकार में ही मंत्री श्री आशीष पटेल ने सड़कों के निर्माण में नम्बर-2 के काम की आशंका जताकर शिकायत की इस शिकायत का निहितार्थ समझा जाए तो यह है कि नवनिर्मित सड़कें बनते ही आत्महत्या’ क्यों कर रही हैं? क्या निर्माण के समय कोलतार और अन्य सामग्रियों में ‘सल्फास’ मिलाया जा रहा है ? बनते ही सड़क के स्वागत में गड्ढे क्यों उमड़ पड़ रहे हैं।
नर्सरी के बच्चों जैसा उत्तर?
श्री पटेल की शिकायत पर मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने क्लास लगा ली। नर्सरी के बच्चों की तरह जब जवाब मिला-‘सर, ठीकेदार मेरी बात मानता नहीं।’ इस तरह के जवाब पर जब नर्सरी का टीचर नाराज होकर रूल निकाल लेता है तो मंत्री तो ठहरे मंत्री ही। उन्होंने जैसे ही डिपार्टमेंटल रूल के बारे में कार्रवाई के बारे में पूछा तब विभागीय-वर्क में ‘गहरे राज’ के आगे चुप्पी के रास्ते के अलावा कोई रास्ता समझ में नहीं आया।
अब पेशबन्दी शुरू?
इस सवाल-जवाब से एक्शन की सम्भावना देखते हुए बचाव का गुणा-भाग शुरू हो गया है। दोनों मंत्रियों को डिफिट देने के लिए ‘ठीकेदारं शरणं गच्छ’ मन्त्र-जाप तत्काल शुरू हो गया है। पड़ोस के एक ठीकेदार को ‘पुरोहित’ बनाकर यूपी को पटखनी देने के लिए ‘दिल्ली’ साधने का ‘DPR’ बनाया गया है। इस प्रोजेक्ट में ‘ब्लैक एंड ह्वाइट’ फार्मूला को ज्यादा सटीक माना जा रहा है।
कोलतार की कमाई से ठीकेदार ने भरोसा दिया है कि ‘नौकरी-सुरक्षा’ के लिए ऐसी सड़क बना दी जाएगी कि कुछ ही महीनों के बचाव की गाड़ी सरपट दौड़ती रहेगी और मीटिंग में डॉट-फटकार को पटरी के झाड़-झंखाड़ की तरह उखाड़ फेंका जाएगा।