मनरेगा से कार्यों कि समीक्षा अनिवार्य

चर्चा क्या हुई या सहीं भी हों कि मनरेगा से काम कराने की स्वीकृति अब जिले से होगी उसी रात में कई ब्लाक में करोड़ों की आईडी जारी हों गयी कुछ चर्चित ब्लाक तो इसमें अव्वल रहा और जो कमीशन तय हैं ( कई ग्राम प्रधान के अनुसार ) उसको देकर एक एक ब्लाक के दर्जनों प्रधान ने आई डी ले लिया दिक्कत तो उन प्रधान को हुआं जो एडवांस में देने की स्थिति में नहीं थें! उस जारी सभी आईडी की जांच होनी चाहिए ! मोबाईल मोनिटरिंग सिस्टम से मनरेगा काम में लगें मजदूर को दिखाई देने के लिए सुबह में खड़ा कई मनरेगा मजदूर या अन्य लोगों को कर दिया जाता हैं और काम कुछ मजदूर करते हैं और मस्टरोल दर्जनों मजदूरों का निकलता हैं यहां तक की सरकारी नौकरी में लगें लोगों का भी मस्टरोल निकाल लिया जाता हैं ( कुछ गांव में यह शिकायत हैं ) काम कम मज़दूरों से और ज्यादा मस्टरोल निकालने पर तर्क यह हैं सबका विभागीय .कैसे दिया जाएगा ! यह ग्राम प्रधान द्वारा सहीं तर्क़ भी हैं! मोबाईल का जमाना हैं इसलिए नगद राशि . में देने के लिए लिफाफे का प्रयोग हो रहा हैं ! जिसके लिफाफे ज्यादा बजनी उस गांव के ग्राम प्रधान जी को गांव में विकास कराने के लिए उतनी काम की आईडी ( अपवाद भी हो सकता हैं ! कई ग्राम प्रधान द्वारा मौखिक शिकायत के आधार पर ) उस दिन रात भर कई ब्लाक के कार्यालय खुलें रहें !