October 7, 2025 15:05:13

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बीएचयू विवाद में याद आये अशोक सिंहल

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बीएचयू विवाद में याद आये अशोक सिंहल

वाराणसी। आईआईटी बीएचयू की छात्रा के साथ छेड़छाड़ के बाद सुरक्षा के नाम पर विश्वविद्यालय परिसर के बंटवारे के प्रस्ताव को लेकर सोशल मीडिया में भी जबरदस्त उबाल है। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर लोग प्रस्ताव के विरोध में लगातार आंदोलनरत छात्रों का खुलकर समर्थन कर रहे है। विरोध प्रदर्शन के दौर में लोग विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के सरंक्षक स्व.अशोक सिंहल को भी स्मरण कर रहे है। सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर डॉ चंद्रप्रकाश सिंह ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि सन् 2012 में जब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संस्थान को लेकर आईआईटी विधेयक संसद में प्रस्तुत हुआ था । तभी अशोक सिंहल ने भविष्य में उत्पन्न होनेवाली परिस्थिति के प्रति आगाह करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की एकता और विखण्डता की रक्षा के लिए समाज का आह्वान किया था। आज उनकी बातें सत्य सिद्ध हो रही हैं।
डॉ चंद्र प्रकाश ने अशोक सिंहल के विहिप के लेटरपैड पर जारी बयान को पोस्ट भी किया। जिसमें विहिप के शीर्ष नेता ने लिखा था। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को विखंडित करने का विधेयक पारित किया जाना घोर निंदनीय है। उन्होंने कहा था कि बीएचयू आईटी को आईआईटी में परिवर्तित करने संबंधी विधेयक राज्यसभा में पारित होने से आईटी का समस्त परिसर धीरे-धीरे कुलपति के अधिकार क्षेत्र से आईआईटी के अधिकार में चला जायेगा। इससे विश्वविद्यालय की प्रभुसत्ता एवं अखंडता को खंडित करने में हिन्दू विरोधी मानसिकता के लोग सफल हो गए। महामना मालवीय ने सम्पूर्ण भारत से भिक्षा मांग कर बीएचयू में अनेक तकनीकी विभागों की स्थापना दूर दृष्टि से की थी। महामना के इस योगदान को भूलकर उनकी 150वीं जयंती वर्ष में विश्वविद्यालय को विखंडित किए जाने से बड़ा मालवीय जी का कुछ और अपमान नही हो सकता। सरकार का कार्य घोर निंदनीय है।
अशोक सिंहल जी ने लिखा था कि आईआईटी बनाना ही था तो उसे कुलपति के अधिकार क्षेत्र में बीएचयू की अखंडता का अक्षुण्ण बनाए रखते हुए बनाना चाहिए था। परन्तु यह विधेयक विश्वविद्यालय की अखंडता को ही चुनौती दे रहा है। जिसे महामना के भक्त और उपासक कभी सहन नही करेंगे। आईटी की समस्त भूमि आईआईटी में विहित करने का कानूनी अधिकार केन्द्र सरकार का नही हो सकता। क्योकि जिस भूमि को समर्पित किया गया है वह मालवीय जी ने जनता से प्राप्त की थी। उसे किसी भी हालत में सरकार अन्य संस्था को नही दे सकती। यह कानून की अवहेलना भी है। अशोक सिंहल जी ने लिखा है कि सर्व विद्या की राजधानी को खंडित करने का दुष्चक्र एक सोची समझी मानसिकता के तहत बीएचयू की गरिमा को नीचा दिखाने के लिए किया गया है।
उधर, बीएचयू कैंपस से बंटवारे के प्रस्ताव के विरोध में छात्रों के साथ आम लोगो को भी जुड़ता देख विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी यू टर्न लेकर रविवार की शाम उच्च स्तरीय बैठक में तय किया कि बाउंड्री वॉल से आईआईटी-बीएचयू की सुरक्षा संबंधी समस्याओं का समाधान संभव नहीं है। आईआईटी बीएचयू कैंपस में किसी भी तरह की कोई दीवार नहीं बनेगी। बीएचयू और आईआईटी कैंपस में पहले के मुकाबले सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत की जाएगी।

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