आवारा पशुओं से बर्बाद होती फसलें: जिम्मेदार कौन?
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आवारा पशुओं से बर्बाद होती फसलें: जिम्मेदार कौन?
AiN भारत न्यूज़ ब्यूरो रिपोर्ट प्रयागराज
शंकरगढ़ /प्रयागराज।।बारा तहसील किसान रवि सिंह निवासी ग्राम बड़गड़ी की मेहनत पर एक सप्ताह पहले पानी फिर गया जब आवारा मवेशियों ने उनकी खेत में खड़ी सरसों की फसल चट कर दी। उन्होंने 2 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन समाधान के नाम पर उन्हें केवल कागजी कार्रवाई और फर्जी रिपोर्ट मिली।6 मार्च को ग्राम पंचायत के सचिव राजेंद्र मौर्य ने मामले की रिपोर्ट लगाते हुए शिकायत का निस्तारण दिखा दिया।रिपोर्ट में यह दर्शाया गया कि ये सभी मवेशी गांव के ही हैं। अब सवाल उठता है कि यदि ये मवेशी गांव के हैं, तो क्या उन्हें किसानों की फसलें उजाड़ने का लाइसेंस मिल गया? क्या शासन-प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? क्या सरकार और गौशाला संचालकों का कोई दायित्व नहीं है? किसान रवि सिंह ने आरोप लगाया कि बिना उनकी सहमति के गलत रिपोर्ट तैयार कर दी गई। वे इससे संतुष्ट नहीं हैं और उच्च अधिकारियों से दुबारा शिकायत (ड्यूटी अपील) करने की तैयारी कर रहे हैं। *गौशाला होते हुए भी आवारा पशु क्यों?* रवि सिंह का गांव बड़गड़ी ग्राम पंचायत में आता है, जहां गौशाला बनी हुई है। बावजूद इसके, आवारा पशुओं की भारी संख्या सड़कों और खेतों में परती भूमि पर विचरण कर रही है। ये न केवल किसानों की मेहनत को बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि राहगीरों के लिए भी खतरा बने हुए हैं।गांव में रहने वाले अन्य किसानों का भी यही हाल है। एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सरकार गौशाला बनवाकर वाहवाही लूट रही है, लेकिन उनकी देखरेख के लिए कोई ठोस योजना नहीं है। मवेशी खुला घूम रहे हैं, और प्रशासन हमें ही दोषी बताने में लगा रहता है।”*प्रशासन की नाकामी या राजनीतिक अनदेखी?* इस मामले में कई सवाल उठते हैं:यदि गौशाला बनी है, तो आवारा मवेशी बाहर क्यों घूम रहे हैं?क्या सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?किसानों को उनके नुकसान का मुआवजा कौन देगा?यदि प्रशासन समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं करता, तो किसानों का आक्रोश फूटना तय है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस ओर ध्यान देते हैं या किसानों को फिर से फर्जी रिपोर्ट के सहारे राम-भरोसे छोड़ दिया जाएगा।