कम समय में ही मूर्ति पर रासायनिक लेपन करने की आवश्यकता क्यों? संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए!
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*महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की प्रेस विज्ञप्ति*
दिनांक: 12.03.2025
कम समय में ही मूर्ति पर रासायनिक लेपन करने की आवश्यकता क्यों? संबंधित अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए!
*”श्री विठ्ठल की मूर्ति पर धर्मशास्त्रसम्मत न होने वाले रासायनिक लेपन का मंदिर महासंघ और वारकरी संप्रदाय द्वारा कड़ा विरोध!”* – सुनील घनवट, राष्ट्रीय संगठक, मंदिर महासंघ
*पंढरपुर:* महाराष्ट्र के आराध्य देवता और करोड़ों भक्तों की आस्था के केंद्र श्री विठ्ठल की मूर्ति पर पुनः रासायनिक लेपन करने के लिए पुरातत्व विभाग द्वारा निर्देश दिए गए हैं। वर्ष 2020 में पहले भी यह प्रक्रिया की गई थी, और तब कहा गया था कि यह लेपन 8 से 10 वर्षों तक सुरक्षित रहेगा। यदि यह दावा सही था, तो महज 4 वर्षों में ही दोबारा लेपन की आवश्यकता क्यों पड़ी? इसका अर्थ है कि पूर्व में किया गया कार्य निम्न गुणवत्ता का था।
वास्तव में, किसी भी देवता की मूर्ति पर रासायनिक लेपन करना पूरी तरह से धर्मशास्त्र के विरुद्ध है। बिना मूल कारण को दूर किए, केवल बाहरी उपायों से समाधान निकालना मूर्ति के लिए हानिकारक हो सकता है। इसी कारण मंदिर महासंघ और वारकरी संप्रदाय इस रासायनिक लेपन का कड़ा विरोध कर रहे हैं। साथ ही, “कम समय में ही दोबारा लेपन की आवश्यकता क्यों पड़ी? इस संबंध में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए,” ऐसी मांग मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संगठक श्री सुनील घनवट ने की है।
*पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति की लापरवाही का उदाहरण*
इसी प्रकार, पश्चिम महाराष्ट्र देवस्थान समिति ने वर्ष 2015 में कोल्हापुर स्थित श्री महालक्ष्मी देवी की मूर्ति पर वज्रलेपन प्रक्रिया की थी। लेकिन मात्र 2 वर्षों में ही वह लेपन निकलने लगा, मूर्ति पर सफेद धब्बे आने लगे और मूर्ति की क्षति होने लगी। हिंदू जनजागृति समिति ने इसका विरोध किया, लेकिन फिर भी यह प्रक्रिया जबरदस्ती लागू की गई। अब इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराने की जरूरत पड़ रही है और मूर्ति का मूल स्वरूप प्रभावित हो रहा है।
हमारी मांग है कि पंढरपुर में श्री विठ्ठल की मूर्ति पर पुनः रासायनिक लेपन करने से पहले मंदिर समिति को पिछले लेपन की विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित करनी चाहिए। साथ ही, पहले किए गए लेपन में हुई गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए।
यदि “वारकरियों के स्पर्श के कारण मूर्ति की क्षति हुई” जैसे कारण देकर यह लेपन किया जा रहा है, तो यह सुनिश्चित किया जाए कि इससे मूर्ति को कोई नुकसान न हो। यदि लेपन के कारण मूर्ति को कोई क्षति होती है, तो इसके लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों, मंदिर समिति के प्रशासनिक अधिकारी एवं समिति के सदस्यों को उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।
*हमारी मुख्य मांगें:*
*1.* पहले किए गए लेपन की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
*2.* इस प्रक्रिया को जल्दबाजी में न किया जाए, बल्कि वारकरी संप्रदाय, संत-महंत, धर्माचार्य, और सभी भक्तों को विश्वास में लेकर किया जाए।
*3.* पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए – प्रक्रिया से पहले इसकी पूरी जानकारी जनता को दी जाए।
आपका,
*श्री सुनील घनवट*
राष्ट्रीय संगठक, मंदिर महासंघ
(संपर्क: 70203 83264)