उखड़ती सड़क है तो सरकार की साख भी उखड़ती है।
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उखड़ती सड़क है तो सरकार की साख भी उखड़ती है।
आत्महत्या कर रही सड़क पर डीएम की नजर पड़ी : त्योरी उनकी चढ़ी
क्लास-थ्री के निलंबन की खबर 4 कॉलम और उखड़ती सड़क की दो कॉलम : यह तो न्याय का द्रौपदी ही कहा जाएगा।
मिर्जापुर। मेडिकल साइंस इतना प्रभावी हो रहा है कि अठमासा बच्चे भी बचाए जा रहे हैं जबकि डेढ़ मासा सड़क के उखड़ने की जानकारी जब DM श्रीमती दिव्या मित्तल को हुई तो उनकी भृकुटी इतनी टेढ़ी हुई कि वह FIR के रूप में प्रकट हो रही है। अठमासा बच्चे का मतलब समय से एक माह पूर्व जन्म जबकि डेढ़मासा का मतलब डेढ़ माह पूर्व हुआ कोई कार्य।
सरकार की साख पर गड्ढा और बट्टा दोनों लगता है उखड़ती सड़कों से
सड़क की गिट्टी उखड़ती है तो सरकार की सिट्टी-पिट्टी गुम तो होती ही है, क्योंकि सड़कों की इस हालत से राहगीरों को जब भारी तकलीफ होती है तो बरबस उनके मुंह से सरकार के लिए बद्दुआएं ही निकलती हैं।
माननीयों की निधि ने क्वालिटी को दी है अंधी गति
अप्रासंगिक बात नहीं कि माननीयों के लिए सुरक्षित निधि के प्रचलन के दौर में तमाम जनप्रतिनिधियों की गहरी रुचि ने क्वालिटी को बेहतर नहीं बल्कि बदतर बनाया है। कारण यह है कि प्रकारांतर से अनेक माननीय जनप्रतिनिधि कम ठीकेदार ज्यादा हो गए हैं। निधि आवंटन में भाई-भतीजावाद का तड़का पड़ रहा है और सड़क के लिए ठीकेदार तय करने में टेंडर वाली भाषा इस्तेमाल की जा रही है। ठीकेदार अधिकारियों के सीने पर रोलर चलाते रहता है। जनप्रतिनिधि यदि सत्तापक्ष का है तो जेसीबी तक चल जाता है। इससे हटकर जिन प्रतिनिधियों ने रोलर/जेसीबी की परवाह नहीं की, उनकी निधि विधिपूर्ण इस्तेमाल होती है और आईना बन चमकती रहती है। निधि से सड़क के ग़ैरविधिक फार्मूले ने निर्माण कार्य हर कार्यों में उलटफेर का स्वभाव बनाते जा रहा है।
आज तक किसी निधि की जांच नहीं
CBI, ID आदि के ताबड़तोड़ जांच और छापे, धड़पकड़ एवं जेल के जमाने तक में किसी जनप्रतिनिधि की निधि से हुए कार्यों की अबतक जांच नहीं हुई। ऐसा RTI कार्यकर्ताओं का कहना है।
इसे तो जिला प्रशासन को चुनौती ही कहेंगे
DM आवास के पास से ही नेवढ़िया ग्राम तक की सड़क के उखड़ने से तमतमाई DM श्रीमती दिव्या मित्तल ने मंगलवार, 8/11 को ठीकेदार पर FIR का आदेश कर दिया। आदेश होते खलबली मच गई। अधिकारियों का मारा नेताओं की ओर ही भागता है ताकि उसके प्राण की रक्षा हो सके। एक किमी के लगभग की सड़क डेढ़ माह पूर्व के आसपास बनाई गई थी। इन दिनों सँगमोहाल में बने रेलवे के ओवर-ब्रिज पर गड्ढों का साम्राज्य बन गया है।
खबरों में भी सही तकनीक नहीं इस्तेमाल हुआ
कतिपय समाचार पत्रों ने सड़क मामले में FIR पर सही हॉट-मिक्स फार्मूला अपनाया। इस खबर को वरीयता देकर आमजनता की कठिनाइयों में भागीदारी का संकेत दिया तो कुछ ने क्लास-थ्री के एक कर्मचारी के निलंबन का समाचार 4 कॉलम में लगाया । यह सिंगल कॉलम, अधिकतम डबल कॉलम की खबर थी। क्लॉस-थ्री में 4 कॉलम लगेगा तो क्या क्लास-टू और वन में 6 और 8 कॉलम इस्तेमाल होगा ? जबकि जिला प्रशासन को चिढ़ाने वाली उखड़ती सड़क और DM के एक्शन-मोड की खबर क्लास-थ्री से कम साइज में लागाकर न्याय के गले में फाँसी का फंदा डालने का ही काम कहा जाएगा।