मिर्जापुर नगरपालिका परिषद की अध्यक्षी ।
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तीसरी आंख
मिर्जापुर नगरपालिका परिषद की अध्यक्षी
सीट अब बदल गई : गुबार देख रहे लोग
सीट चली गई महिला खाते में : स्वप्नमहल सजाना भी गया बट्टे खाते में
आध्यात्मिक है शक्ति हैं मां विन्ध्यवासिनी के पास तो केंद्र सरकार की शक्ति है अनुप्रिया पटेल के हाथों में और प्रशासनिक शक्ति DM दिव्या मित्तल के जिम्मे
मिर्जापुर हुआ मायामय
मिर्जापुर। स्वप्नों की जिंदगी कुछ घँटों के लिए जागने तक होती है जबकि आम-जीवन के स्वप्नों का समय सुनिश्चित नहीं होता। वर्षों-वर्ष से नगरपालिका मिर्जापुर के अध्यक्ष के लिए स्वप्न देख रहे लोगों को उस वक्त गहरा झटका वैसे ही लगा जैसे नींद में ‘सु-स्वप्न’ देखते किसी निद्रा में मगन को झकझोर कर जगा दिया जाए। स्वप्न में सम्राट बना हो या इंद्रलोक की अप्सरा के साथ मगन हो और धर्मपत्नी जगा दे तो उस वक्त पत्नी कैकेई या शूर्पणखा, पूतना की ही तरह लगेगी। हो सकता है कि उठते ही घर महाभारत का युद्ध मैदान सा न हो जाए।
अध्यक्षी का रिहर्सल बड़े जतन से हो रहा था
यहां की नगरपालिका पद पर भाजपा का कब्जा था। मनोज जायसवाल अध्यक्ष थे। आगे के चुनाव में कोई चैलेंज देने वाला दुर्योधन न पैदा हो जाए इसलिए वे बड़े एलर्ट थे। अध्यक्षी के स्वाद से परिचित मनोज जायसवाल बड़ी बारीकी से ऊपर-नीचे तक सधे शतरंज के खिलाड़ी की तरह गोट बिछा रहे थे। उनके समर्थक उन्हें शानदार बादशाह के रूप में मान कर शेष को प्यादा ही समझ रहे थे लेकिन शतरंज के खेल में ऐसा भी होता है कि प्यादा बादशाह को उठा कर पटक देता है।
महिला सीट के दांव से चित्त किया
5 साल पहले तक यह सीट सामान्य महिला के लिए रिजर्व थी लिहाजा उम्मीद तो नहीं थी कि फिर कोई भवानी युद्ध के मैदान में उतरेगी लेकिन त्रिकोण की देवियों के धाम को महिला सीट घोषित कराकर किसी ने जरुर मनोज जायसवाल की सारी रणनीति को ध्वस्त कर दिया।
तैयार की जा रही झांसी की रानी
भाजपा छोड़ अन्य दल चुनाव के मामले में दलदल में ही है। बीरबल की खिचड़ी की तरह टकटकी लगाए थे लेकिन सत्ता का पत्ता हाथ में लेकर कलाबाजी दिखा रहे लोग अब आजादी आंदोलन के झांसी के राजाजी के बलिदान के बाद रण में कूद पड़ी महारानी की तरह अपनी अपनी पत्नियों को झांसी की रानी होने का दावा ठोंक रहे।
छाप तिलक सब छोड़ी कुर्सी से नैना मिलाई के
टिकट से वंचित पुरुष अभ्यर्थियों के पत्ता कटने के बाद ‘घूंघट की ओट’ में रहकर किचन सम्हाल रहीं पत्नियों को लेकर घर-बार लुटा कर राजनीति की चक्की चला रही महिला-नेत्रियां किच-किच कर रही हैं। इन नेत्रियों के नेत्र से घूंघट वालियों पर अग्निबाण चलाए जा रहे हैं। फुल टाइमर महिला नेत्रियों का कहना है कि ‘छाप-तिलक सब छीनी तोसे नैना लड़ाई के’ की तर्ज पर बाल-बच्चे, शौहर-नैहर को ठुकरा कर जब वे पार्टी में कूद ही पड़ी हैं तो ‘राजनीतिक सिंदूर-दान’ तो उन्हीं का होना चाहिए। बहरहाल भाजपा में जो हो रहा है कमोवेश वही स्थिति अन्य दलों की भी है।
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तीन की बलि ले ली कातिल सड़क ने : एक बच्चे का पिता से कर दिया बिछोह
पिता 8 साल के बच्चे को मोटर साइकिल से लेकर घर से निकला लेकिन उसे सीने पर पत्थर और आंखों में आंसू रखकर अकेले घर जाना इसलिए पड़ा क्योंकि कमिश्नरी के पास सड़क पर ट्रक ने बाइक को धक्का मारा। 8 साल का बेटा गिर पड़ा। ट्रक ने कुचल दिया। बवाल हो गया। सैकड़ों की भीड़ लग गई। भारी पुलिस बल आ गया। घटना 6/12 की शाम 6 बजे की है। ठीक आधे घण्टे बाद 200 मीटर की दूरी पर कम्बल कारखाने के पास दूसरे वाहन ने एक बाइक पर सवार दो युवकों को कुचक कर मार डाला। फोर्स की मौजूदगी में यह घटना हुई।