
सम्पादकीय
Ain भारत न्यूज़ जिला संवाददाता गोवर्धन गुप्ता महाराजगंज
अपनी हर फतह पर इतना गुरूर मत कर
मिट्टी से पूछ आज सिकन्दर कहां है
हालात हमेशा दिशा दशा बदलते रहता हैं! जो रन्क था राजा है! जो राजा था आज रन्क है।फिर भी पता नहीं किस बात पर आदमी को घमंड है? झूठी शान शौकत झूठी शोहरत के लिए इन्सानियत का आदमी खून कर रहा है! मानवता की बली दे रहा है? सब कुछ सामने दिखाई दे रहा है फिर भी आंख पर पर्दा है!।अभी कुछ महीने पहले तक आलीशान महल में रहने वालों का करोना काल में दिल दहलाने वाला नजारा जो दुनिया ने देखा वह सबके के लिए काफी है कि कफ़न भी नसीब नहीं हुआ! जिनके लिए सब कुछ किया करीब तक नहीं गया! लावारिश
दुनिया से बिदा हो गया धन सम्पदा के अहकार में जमानों को उंगली पर नचाने वाला? आखिर किस काम आया गरीबों के हक को लूट कर मगरुरीयत में ज़िन्दगी जीने वालो को?। धन सम्पदा महल अटारी सब कुछ तो यहीं रह गया !कुछ साथ नहीं गया!आखरी सफर मे दो कदम जो अपने थे साथ तक नहीं चले? गजब का मंजर गजब का नजारा? कभी कभी मन अनायास ही इस मतलबी दुनियां के सच को देखकर सिहर उठता है! फिर भी न जाने किस शक्ति के वशीभूत होकर आदमी वहीं करता जा रहा है जो नहीं करना चाहीए? समय बदला राजा बदला रियासतें बदली मगर श्मशान कब्रिस्तान अपनी जगह आज भी मुस्करा रहे है? न जाने कितने शहंशाह दफन हो गए न जाने कितने बादशाह अग्नि देवता को समर्पित हो गये? सब कुछ यहीं रह गया।जब यह सबको पता है समय के साथ वक्त के समन्दर में डूब जाना है तो फिर इन्सानियत की हत्या क्यों? दुनियां के फलक पर सब कुछ अपना बना लेने की सनक में पैदा समस्या क्यों? जिसने कायनात बनाया उसी के कायनात में उसी के लिए उसी के बन्दे को दिन दहाड़े हलाल किया जा रहा है। खुद की बनाई ब्यवस्था में इकबाल नजर आ रहा है? अरे भाई जो सर्वशक्तिमान है! महान है! जिसने बनाया जहान है! उसकी निन्दा क्या! उसकी बड़ाई क्या? खुद के अहंकार में खुद की सोच से कायनाती ब्यवस्था में अपनी आस्था को सर्वोपरि समझने की भूल ने समूल नाश का बिज वितरित कर दिया है? आज दुनिया तबाही के मुहाने पर खड़ी है?।बिनाश का विहंगम नजारा मौत के बढ़ते वर्चस्व में सर्वस्व को समाहित होते हर कोई देख रहा है? यूनान से लेकर हिन्दुस्तान तक का सफर तय कर सिकन्दर महान बन गया हजारों हज़ारों लोगों की बलि देकर इन्सान से शैतान बन गया? लेकिन वह भी गया तो दोनों हाथ खाली था !विश्व बिजेता का तमगा लिए गया मगर आज उसके मजार पर फातिहा पढ़ने वाला कोई नहीं है। तीन सौ साल मुगलिया सल्तनत देश में तबाही का इतिहास लिखती रही! आज सारी निशानियां मिट रही है! उनके बन्शज सड़क पर भीख मांग रहे हैं? कोई देखने सुनने वाला नहीं! सच को स्वीकार करने की क्षमता इन्सानी स्वभाव में खत्म हो चली है।मजहब के नाम पर किसी निरीह की हत्या धर्म के नाम पर किसी का बलिदान आखिर क्यों हो रहा है। जब तक सियासत के शतरंजी जाल में फस कर पब्लिक धर्म और मजहब के नाम पर उलझी रहेगी इन्सानियत का खून होता रहेगा?।तफरका का डंकल बीज पूरे देश में फ़ैल चुका है! उन्माद फैलाने वाले परजीवी लगातार लोगों को संक्रमित कर रहे है!सच को झूठ में बदल कर भ्रमित कर रहे है।रोजी रोजगार ब्यापार का मुद्दा गौड़ हो गया!शहर शहर गाव गांव शुरू उन्मादी तकरार हो गया? मूलभूतआवश्यकताओं जब तक लोग सोचे उसके पहले ही नया फार्मूला ललकारने लग रहा है। देश का परिवेश पूरी तरह बदल चुका है। दहशत और दरिन्दगी का दल दल पल पल भयंकर रूप धारण करता जा रहा है। एक बार जो इसकी चपेट में आ गया उसका नाश अवश्यंभावी है। लोगों के जेहन में बदले की बेहन लहलहा रही है।न जाने सियासती परजीवी देश के परिवेश को जहरीला बनाकर कौन सा इतिहास बनाना चाह रहे हैं?। कहीं श्री लंका के राह पर भारत भी तो नहीं बढ़ रहा है! आने वाला कल कौन सा गूल खिलाएगा जानता कौन है !मगर वर्तमान सिसक रहा है भविष्य मौन है? देखना भारत के भविष्य के रखवाले वर्तमान को किस तरह सम्हालते है मुगालते में तो सारा देश है।सबका मालिक एक?
जयहिंद🙏🙏