वासलीगंज में पूजा-पंडाल में दिखा सभी वर्गों का सद्भाव
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जनपद मिर्जापुर
वासलीगंज में पूजा-पंडाल में दिखा सभी वर्गों का सद्भाव
DIG ने मस्जिद वालों से भी पूछा तो सभी ने पंडाल लगाने पर दी सहमति
धरातल पर तो समाज एकजुट ही दिखता है, सभी सुकून की जिंदगी चाहते हैं
मिर्जापुर। दिनोंदिन जटिल होती परिस्थितियों में अधिकांश लोग सुकून के जीवन की तलाश में रहते हैं। चाहता तो रावण भी सुकून से रहना चाहता होगा लेकिन नकारात्मक प्रवृत्तियों के चलते उसके हर कदम निंदनीय हो जाते रहे। सुकूनकी तलाश में शांति और मर्यादास्वरूपा मां सीता को नकारात्मक तरीके से लंका ले गया। जरूर वह लंका की नकारात्मकता के खात्मे के प्रयास में था। लंका के ध्वस्तीकरण के बिना यह संभव नहीं था।
यह उदाहरण इसलिए है
ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा कि समाज के कतिपय स्वार्थी लोग अपने लाभ के लिए भले जाति और सम्प्रदाय का हौवा खड़ा करते रहते हैं। किसी को सत्ता चाहिए तो वह सामाजिक विद्वेष का रास्ता चुनता है और उसे आंधी-तूफान जैसे तेज होते संचार माध्यमों की सहायता मिल जाती है और बात का बतंगड़ बन जाता है। वरना मिर्जापुर की एक घटना से तो यही लग रहा है कि लोग सुकून की जिंदगी को वरीयता देते हैं।
संकटमोचन में दुर्गापण्डाल का सद्भावपूर्ण हालचाल
शनिवार, 21 अक्टूबर को नगर के मध्य संकटमोचन मुहल्ले में दुर्गा जी की प्रतिमा पंडाल में सजाई जा रही थी। किसी ने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस आई और पंडाल का डिटेल मांगने लग गई। कब से लग रहा है और इस वर्ष की अनुमति है या नहीं ? इस पर आयोजकों ने कहा कि वर्ष 2015 में पहली बार लगा था। वीडियो दिखाया। लेकिन वर्ष 2016 में संकटमोचन मन्दिर के एक पुजारी के निधन के चलते स्थगित हुआ तब उसके बाद इस वर्ष शुरू हो रहा है। पुलिस ने अनुमति पत्र की कार्रवाई के लिए कहा। कतिपय लोग लोग इसके लिए भागदौड़ में लगे लेकिन उसी समय DIG श्री आर पी सिंह भी आ गए। श्री सिंह ऐसे स्वभाव के हैं कि कहीं उपद्रव हो रहा हो और वे वहां पहुंच जाए तो मामला शांत हो जाता है। आध्यात्मिक अभिरुचि के DIG श्री सिंह हैं। अदृश्य शक्तियों की कृपा उनके साथ चलती प्रतीत होती है। अत्यंत शांत भाव में समस्याओं का समाधान निकालने में दक्ष हैं।
हिन्दू-मुस्लिम सब सहमत
DIG ने आसपास के लोगों के साथ पंडाल के ठीक सामने मस्जिद के लोगों से जब पूछा तो मस्जिफ वालों ने भी कहा-‘जी सर, 2015 में यहां पंडाल लगा था।’ इसके बाद अनुमति कार्रवाई तेज कर तत्काल पंडाल में पूजन कार्य शुरू हो गया। इसमें स्वार्थी तत्व घुसते तो मामला तूल पकड़ सकता था। यह वाकया वर्तमान दौर के लिए उदाहरणीय है।