October 4, 2025 09:17:50

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भागवत कथा ऐसा अमृत है जिसे जितना पान करिए तृप्ति नहीं मिलती: आचार्य श्याम दास जी महाराज

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भागवत कथा ऐसा अमृत है जिसे जितना पान करिए तृप्ति नहीं मिलती: आचार्य श्याम दास जी महाराज

AiN भारत न्यूज़ ब्यूरो चीफ सतीश द्विवेदी प्रयागराज

लालापुर प्रयागराज। शंकरगढ़ ब्लाक के भटपुरा लालापुर में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन होने से क्षेत्र में भक्ति का रस प्रवाह होने लगा है। भटपुरा गांव में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में प्रवचन का आयोजन किया जा रहा है। सात दिवसीय कार्यक्रम लेकर क्षेत्र में भक्ति का माहौल बना हुआ है। आयोजक सत्यदेव शुक्ल द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रथम दिन के अवसर पर आचार्य श्याम दास जी महाराज के द्वारा श्रीमद् भागवत महात्म्य के बारे में प्रवचन किया गया। कहा कि भागवत नाम से सारे विपत्ति का नाश हो जाता है, भगवत कृपा बिना कुछ भी संभव नहीं होता है। हरि नाम से ही सारे पाप दूर होता है। मनुष्य को समाज में अच्छे काम करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि कर्म ही प्रधान है बिना कर्म कुछ संभव नहीं होता है जो मनुष्य अच्छा कर्म करता है उसे अच्छा फल मिलता है, और बुरा कर्म करने वाले का बुरा ही होता है। महाराज ने भागवत महात्म्य के बारे में व्याख्यान करते हुए कहा कि एक मार्ग दमन है तो दूसरा उदारीकरण का, दोनों ही मार्गों पंतियां निषेध है। भागवत को सुनने से पाप कट जायेंगे, भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए तब भी तृप्ति नहीं होती। कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भक्ति के दो पुत्र हैं पहला ज्ञान और दूसरा वैराग्य, भक्ति बड़ी दुखी थी, उसके दोनों पुत्र वृद्धावस्था में आकर भी सोये पड़े हैं। वेद वेदांत का घोल किया गया, किंतु वे नहीं जागे, यह बड़ा विचित्र और विचार का विषय है। भक्ति बड़ी दुखी थी कि यदि वे नहीं जागे तो यह संसार गर्त में चला जायेगा। भागवतकार के समक्ष यह चुनौती रही होगी कि वेद पाठ करने पर भी आत्मज्ञान नहीं और वेदांत के पाठ करने पर वैराग्य नहीं जगा। इसे ही गीता में भगवान कृष्ण ने मिथ्याचार कहा है। भागवत कथा सुनते ही ज्ञान और वैराग्य जाग जाए। अतः जो कथा ज्ञान और वैराग्य जगाए वह पाप में कैसे ढकेल सकती है भागवत कथा पौराणिक होती है। नारद जी ने भक्ति सूत्र की व्याख्या करते हुए भी भक्ति को प्रेमारूपा बताया है। वह अमृत रूपणी है जिसे पाकर मनुष्य कृतकृत्य हो जाता है फिर वह कुछ और न चाहता है, न राग, न रंग। वह मस्त होकर स्तब्ध हो जाता है। अतः भक्ति की व्याख्या अद्भुत है। इस सबका शोध श्रीभगवत कथा का महात्म्य है। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया जिससे उपस्थित श्रोता भावविभोर होकर कथा स्थल पर भक्ति से झूम उठे। श्रीमद्भगवत कथा को श्रवण करने के लिये के श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सात दिवसीय कथा सह प्रवचन के आयोजन होने से भटपुरा सहित चकशिवचेर, लालापुर, मंदुरी, सहित क्षेत्र में भक्ति एवं उत्साह का माहौल बना हुआ है।

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