आज संसार धर्म को लेकर के जो विवाद ग्रस्त है उसकी सबसे बड़ी नासमझी है वास्तव मे देखा जाय तो धर्म विवादों को शांति करने की व महा औषधि है —प्रज्ञा पुरुष ओम श्री आनंद प्र
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आज संसार धर्म को लेकर के जो विवाद ग्रस्त है उसकी सबसे बड़ी नासमझी है वास्तव मे देखा जाय तो धर्म विवादों को शांति करने की व महा औषधि है —प्रज्ञा पुरुष ओम श्री आनंद प्रभु
ग़ाज़ीपुर।रविवार को भगवान श्री नागा बाबा स्मारक सेवा समिति आरी पहाड़पुर सीता पट्टी के तत्वावधान में साप्ताहिक मिलन में धाम के पीठाधीश्वर सद्गुरु प्रज्ञा पुरुष ओम श्री आनंद प्रभु ने कहा कि आज संसार धर्म को लेकर के जो विवाद ग्रस्त है । वह उसकी सबसे बड़ी नासमझी है , वास्तव में देखा जाए तो धर्म समस्त विवादों को शांत करने की महा औषधि है किंतु आज ऐसी विषम बेला है कि हम धर्म को ही लेकर विवाद ग्रस्त हैं। मानव इस सत्य को भूल गया है कि धर्म दस-बीस नहीं होता धर्म तो सदा रहने वाला सनातन है, जैसे एक बहती हुई सरिता की धारा अपने प्रवाह में नाना घाटों के अनुसार बहती रहती है किंतु घाट स्वयं कोई धारा नहीं होते घाट तो केवल ऐसे माध्यम होते हैं जिनके आधार पर हम उस धारा में स्नान करते हैं किंतु यदि कोई घाटों को ही धारा समझ ले तो इससे बढ़कर नासमझी क्या होगी बाबा स्वयं गंगा की धार थे।वह कोई घाट नहीं किंतु हम बाबा के शरण में आकर भी उनकी सानिध्य प्राप्त करके भी इस सत्य को नहीं समझ पाए। बाबा के द्वार पर हिंदू -मुसलमान -ईसाई सभी आते थे और बाबा सबके लिए जो संदेश देते थे । उनके जीवन का जो प्रवाह था, जो उनकी मौन संदेश थी वह सब के लिए समान थी किंतु आज हमारा दुर्भाग्य है कि हम ऐसे महान संत को पाकर भी उनके इस बिलक्षण संदेश को नहीं जान पाए और आज अपने-अपने घाटों को ही लेकर उन्हें ही धर्म कहकर आपस में संघर्षरत हैं बाबा का यह संदेश था की धर्म धारा है घाट नहीं। बाबा के इस संदेश को ही जनव्यापी बनाने के लिए स्वबोध आश्रम सक्रिय है और इस सत्य की संरक्षण के लिए ही स्मारक सेवा समिति की संरचना की गई है।
परमाचार्या डॉ सरोजिनी मां एवं मंदिर पुजारी प्रभु नारायण पांडे, सन्यासी स्वामी लीलानंद ,संजय पांडे,व्यवस्थापक रवि सिंह, मदन मोहन सिंह, संजय पांडे, धीरज कुमार, श्रीकांत भारद्वाज ,लुटूर. एवं समस्त ग्रामवासी उपस्थित थे ।