श्रीमदभगवत पुराण कथा सागर मे गोता लगाते श्रद्धालु।

श्रीमदभगवत पुराण कथा सागर मे गोता लगाते श्रद्धालु।
महराजगंज क्राइम ब्यूरो कैलाश सिंह की रिपोर्ट
मऊ जिले के कसारा ग्राम सभा मे श्रीमदभगवत पुराण की कथा आचार्य पं. मुकेश पाण्डेय जी के द्वारा परीक्षित श्री मती सरोज वर्मा व पति ज्ञान चंद वर्मा सहित श्रवण किया जा रहा है। इसमें आचार्य जी ने बताया कि सुदामा जिसे कुचेला (दक्षिणी भारत में) के नाम से भी जाना जाता है, श्रीकृष्ण के बचपन के दोस्त थे, जिनकी कहानी कृष्ण से मिलने के लिए द्वारका की यात्रा का उल्लेख भागवत पुराण में किया गया है। पारलौकिक लीलाओं का आनंद लेने के लिए उनका जन्म एक गरीब व्यक्ति के रूप में हुआ था। सुदामा पोरबंदर के रहने वाले थे।मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य जी ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। इस को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। उन्होंने सुदामा और कृष्ण की झांकी पर फूलों की वर्षा की इसके बाद परिवार द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।