न्यायालय की अवहेलना, मुकदमे के रहते हुए भी दुकान पर बुलडोजर चलाकर किया जमीदोज

मुकदमे के रहते हुए भी दुकान पर बुलडोजर चलाकर किया जमीदोज।
मंडुआडीह पुलिस घटना से बेखबर,जांच में जुटी।
दुकान में लाखो का सामान खाक।
लगताहैआम लोगो का कानून से भरोसा उठता जा रहा है,अब खुद से ही फैसला करने लगे हैं,ऐसे ही एक घटना ककर मत्ता में देखने को मिली जहां एक आराजी न,241पर बनी हुई दुकान के बाहरी सिरे की दोनो दीवाल कोरात में बुल डोजर लगाकर ,गिराने के बाद दुकान को शटर समेत जमीदोज कर दिया गया ।इसकी सूचना दुकान मालिक अत हर को सुबह हुई जब इस दुकान में नाई का काम करने वाला व्यक्ति वहां पहुंचा। दुकान का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए ,जो रात में अपनी दुकान बंद कर गया उसे सुबह ये देखना पड़ेगा उसने सोचा भी नही होगा,।
मिली जानकारी के अनुसार ककर मत्ता में अब्दुल हई ने अपनी जमीन पर एक कटरा बनवा रखा था जिसके सड़क पर बनी दुकान को अतहर ने बीस साल पहले किराए पर लिया था,और बराबर किराया अदा करता रहाअब्दुल हई की मौत के बाद उनके लडको ने दुकान को खाली करने का दबाव बनाने लगे,दो माह पूर्व इस मामले में चौकी डीरेका पर एक समझौता भी पक्षों के बीच हुआ था की दुकान से मालिक किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं करेगा,इस बीच दुकान मालिक द्वारा बराबर दुकानदार पर दबाव डाला जाने लगा,दुकानदार ने मई माह में सिविल जज के यह मुकदमा दाखिल किया जिसमे दुकान मालिको के खिलाफ नोटिस तामील हुई।
बावजूद इसके दुकान मालिक द्वारा किन लोगो की शह पर इतनी बड़ी वारदात कर डाली की रात के एक बजे बुलडोजर मंगाकर पूरी दुकान को जमी डोज कर डालना कोई मामूली काम नही है।
अगर दुकानदार उस दुकान में सो रहा होता तो क्या होता ,दुकान में लगे ए सी,सहित लाखो का सामान मिट्टी में मिल गया।
योगी जी की बुलडोजर नीति से अगर सीख लेकर ऐसा किया गया है तो सोचनीय विषय है की उनका बुलडोजर तो गुंडों बदमाशो,पर चलता है ना की किसी निरीह के खिलाफ।
मंडुआडीह पुलिस के प्रभारी बाहर है ,उनकी जगह एस एस आई से इस संवाददाता ने बात कर जानकारी चाही तो उनका भी कहना था की अभी जानकारी हुई है मौके पर जा रहा हु।
मतलब साफ है की इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वाले की हिम्मत बिना किसी जिम्मेदार के इशारे के संभव नहीं है,क्या रात में आई जे सी बी,मशीन की खोज आसपास के भवनों पर लगे सी सी कैमरे के फुटेज से की गई,या इस घटना को भी आपसी लड़ाई मानकर उसकी भी लीपापोती कर दी जाएगी या पुलिस अपना इकबाल कायम रखते हुए अभियुक्तो के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी जिससे इस तरह की पनप रही परम्परा पर लगाम लगाया जा सके,उच्च अधिकारी संज्ञान लेंगे तो पीड़ित को कुछ इंसाफ की आस जागेगी वरना उसे भी मायूसी के साथ अपनी मजबूरी के साथ समझौता करना पड़ेगा।