सात्त्विक आकाशदीप एवं उसके लाभ
1 min readसात्त्विक आकाशदीप एवं उसके लाभ !
पहली बार त्रेतायुग में आकाशदीप जलाने का विचार हुआ था । रामराज्याभिषेक के समय श्रीराम के चैतन्य से पावन हुए वायुमंडल का भी स्वागत करने के लिए प्रत्येक घर के सामने आकाशदीप जलाया गया था । घर के द्वार पर टंगे हुए आकाशदीप से घर के आसपास का वायुमंडल शुद्ध होता है । इसीको वास्तु में टंगाने का दूसरा रूप है, नंददीप ! आकाशदीप का मूल आकार कलशसमान होता है । यह मुख्यतः चिकनी मिट्टी का बना होता है । इसके मध्य पर तथा ऊपरी भाग पर गोलाकार रेखा में एक-दो इंच के अंतर पर अनेक गोलाकार छेद होते हैं । इसके भीतर मिट्टी का दीप रखने के लिए स्थान होता है । आकाशदीप आकाश में टंगा होने के कारण, वायुमंडल की एक साथ शुद्धी होती हैं ।
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