दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रोफेसर पी कोया की जमानत याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रोफेसर पी कोया की जमानत याचिका पर एनआईए को नोटिस जारी किया।
रिपोर्ट दीपक पाण्डेय
नई दिल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को प्रोफेसर पी कोया की जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए ) को नोटिस जारी किया। उनकी जमानत याचिका दिसंबर 2024 में एक विशेष एनआईए अदालत ने खारिज कर दी थी। जबकि, वह पीएफआई से जुड़े एक मामले में 22 सितंबर, 2022 से हिरासत में हैं । जस्टिस चंद्र धारी सिंह और अनूप जयराम भंभानी की डिवीजन बेंच ने एनआईए को नोटिस जारी किया । मामले को सुनवाई के लिए 6 मई, 2025 को सूचीबद्ध किया गया है। पीठ ने रजिस्ट्री को यह भी निर्देश दिया है कि यदि अन्य संबंधित याचिकाओं के बारे में उसे प्राप्त होता है तो वह ट्रायल कोर्ट को अदालत के समक्ष पेश करे। उन्होंने वकील तल्हा अब्दुल रहमान के माध्यम से एनआईए कोर्ट द्वारा पारित 12 दिसंबर, 2024 के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है, जिसके तहत उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। बताया गया है कि एनआईए ने 18 मार्च, 2023 को आरोप पत्र दाखिल किया है। इसके बाद 19 अप्रैल, 2023 को एक पूरक आरोप पत्र भी दाखिल किया गया, जिसमें अपीलकर्ता के खिलाफ कोई नई सामग्री रिकॉर्ड में नहीं लाई गई है।
अभी तक आरोप तय नहीं हुए हैं और मुकदमा शुरू नहीं हुआ है। याचिका में कहा गया है कि अपीलकर्ता की लंबी हिरासत संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत त्वरित सुनवाई के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।
आगे कहा गया है कि कोया सितंबर 2022 से हिरासत में हैं और उनके पास कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है, उनकी उम्र अधिक है और यह भी तथ्य है कि 240 से अधिक गवाह, 184 दस्तावेज और 32 भौतिक वस्तुएं हैं और मुकदमा अभी शुरू होना बाकी है, यह जमानत देने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनता है। प्रोफेसर पी कोया 72 साल के हैं।
उन्हें एनआईए द्वारा 13 अप्रैल, 2022 को आईपीसी की धारा 120बी, 153ए और यूएपीए की धारा 17, 18, 18बी, 22बी, 38 और 29 के तहत कोया सहित 21 आरोपियों के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी में गिरफ्तार किया गया था।
27 सितंबर, 2022 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( PFI) को UAPA के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया।
FIR दर्ज होने और अपीलकर्ता की गिरफ़्तारी के बाद संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।