था गुरुर हुंकार पर जो हिंदुत्व को जीता था।

था गुरुर हुंकार पर जो हिंदुत्व को जीता था।
मिटा दिया गीदड़ो ने उसको वह शेर सम्राट हिन्दू कहलाता था
भगवा सोए तो जग सोए रोया जग सारा
और कितने कमलेश मरेंगे कब जागेगा हिंदू बेचारा
कृष्णा पंडित की कलम से
रीत वही है प्रीत वही है पुरातन सनातन की
खून में रंगत शान में शौकत बात वही सनातन धीरो की
शेरनी ने कभी कुत्ता नहीं जना है और ना ही कहीं पीपल से पापड़ बना
मृत सैया की नींद सो कर हिंदुत्व को जगा गया
नकली भगवा वालों को असली रूप बता गया
जब जब बात हिंदुत्व की होगी तब कमलेश याद आएगा
नक़ली कितनो ने भगवा पहना अब हिंदुत्व को कौन निभाएगा।
मां भारती पुकार रही उठो वीर सपूतों
घर घर भगवा लहरा दो हर घर में भगवा फहरा दो…!!