गंभीर रुप से बीमार गर्भवती के लिए खुलेगी हाई डिपेंडेंसी यूनिट
1 min readगंभीर रुप से बीमार गर्भवती के लिए खुलेगी हाई डिपेंडेंसी यूनिट
AIN ब्यूरो रिपोर्ट संतकबीरनगर
– एमसीएच विंग में स्थापित होगा आठ बेड का एचडीयू, 10 लाख रुपए अवमुक्त
– इलाज के लिए नहीं जाना पड़ेगा बाहर, गर्भवती को मिलेगी बेहतर चिकित्सकीय सुविधा
संतकबीरनगर
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिरुद्ध कुमार सिंह ने बताया कि गंभीर रूप से बीमार गर्भवती के इलाज के लिए अब जिले से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। उनके लिए हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) की स्थापना की जाएगी। इसके लिए शासन ने 10 लाख रुपए स्वीकृत भी कर दिए हैं । महिलाओं की जटिलता को देखते हुए तथा मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए यह किया जा रहा है । इसके पीछे की मंशा यह है कि महिलाओं को इलाज के लिए परेशानी का सामना न करना पड़े।
सीएमओ ने बताया कि जिले में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से गंभीर गर्भवती को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है। कभी-कभी यहां पर भी सुविधाओं के अभाव में समस्या हो जाती है। ऐसे में गर्भवती की स्थिति बिगड़ने पर उसे मेडिकल कालेज ले जाना पड़ता था। इस स्थिति को देखते हुए मातृ मृत्युदर को कम करने के लिए यहां पर हाई डिपेंडेंसी यूनिट खोलने के लिए शासन ने 10 लाख रुपए अवमुक्त किए है1यह हाई डिपेंडेंसी यूनिट की स्थापना लेबर रुम वाले फ्लोर पर ही की जाएगी, ताकि आवश्यकता पड़ने पर प्रसवोपरान्त महिला को उसमें रखा जा सके।
यूनिट की स्थापना से होगा फायदा
खलीलाबाद ब्लॉक के अतरौरा की आशा कार्यकर्ता सुनीता कहती हैं कि पहले गर्भवती को गोरखपुर या लखनऊ ले जाना पड़ता था। अब इस तरह की व्यवस्था जिले में ही हो रही है। यह बड़ी बात है। गंभीर रुप से बीमार गर्भवती और धात्री महिलाओं के जीवन की रक्षा होगी।
क्या होती है हाई डिपेंडेंसी यूनिट
हाई डिपेंडेंसी यूनिट में मरीज के आते ही तुरंत इलाज शुरु हो जाता है। मरीज कोजरूरत पड़ने पर बेड पर ही सारी सुविधाएं मिलेंगी। उसके परिजनों को अन्य विभागों तक जाना नहीं पड़ेगा। हर बेड पर मॉनिटर और बाई पेप मशीन होगी। इस यूनिट में सेंट्रल मॉनिटर सिस्टम लगा होता है । यह सभी बेड पर लगे मॉनिटरों को कनेक्ट करेगा। इसका एक सेटअप इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के पास होगा। इससे मरीज के इलाज पर हर समय नजर रहेगी।
बड़ा कदम है
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ ओपी चतुर्वेदी बताते हैं कि एमसीएच विंग में ( एचडीयू ) हाई डिपेंडेंसी यूनिट की स्थापना के लिए स्थान चयनित करके वहां पर इसे स्थापित किया जाएगा। यह गर्भवती की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे महिलाओं के इलाज में काफी सुविधा होगी और मातृ मृत्यु को रोकने में मदद मिलेगी।