नकली ‘मुकेश अंबानी’ के नाम पर असली सर्वेश चौबे के साथ साइबर ठगी: 500 करोड़ के अस्पताल का झांसा देकर व्यापारी से 4.49 लाख की ठगी।
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नकली ‘मुकेश अंबानी’ के नाम पर असली सर्वेश चौबे के साथ साइबर ठगी: 500 करोड़ के अस्पताल का झांसा देकर व्यापारी से 4.49 लाख की ठगी।
ब्यूरो रिपोर्ट वाराणसी
साइबर अपराधी हर दिन नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। वाराणसी में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी के नाम पर 500 करोड़ के अस्पताल खोलने का झांसा देकर एक व्यापारी से 4.49 लाख रुपये ठग लिए गए। इस मामले ने न केवल साइबर सुरक्षा की जरूरत को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे मशहूर हस्तियों और बड़ी योजनाओं का नाम लेकर लोगों को फंसाया जा रहा है। आइए जानते हैं इस घटना की पूरी कहानी।
कैसे हुई ठगी की शुरुआत?
बनारस के व्यापारी सर्वेश चौबे के पास अचानक एक महिला का फोन आया। उसने अपना नाम ‘मोहिता शर्मा’ बताया और दावा किया कि वह मुकेश अंबानी के ऑफिस में काम करती है। मोहिता ने सर्वेश से कहा, “अंबानी जी पूर्वांचल में 500 करोड़ का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल खोलने जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट में आपको पार्टनर बनने का मौका दिया जा रहा है।”
सर्वेश, इस बड़े ऑफर से बेहद खुश हुए और मोहिता से बातचीत जारी रखी। इसके बाद उन्हें एक और नंबर दिया गया, जिस पर कॉल करने पर दूसरी तरफ से आवाज आई, “मैं मुकेश अंबानी बोल रहा हूं। नरेंद्र मोदी से मेरी बात हो चुकी है, और अब योगी जी से जमीन का इंतजाम करना है। आप हमारे साथ जुड़ जाइए, सब काम संभाल लीजिए। बस आपको अपने खाते में 7 लाख रुपये सिक्योरिटी के तौर पर रखने होंगे।”
कैसे हुआ पैसा ट्रांसफर?
इसके बाद सर्वेश को कई ओटीपी भेजे गए। बिना शक किए, उन्होंने ये सभी ओटीपी बताए। कुछ ही समय में उनके बैंक अकाउंट से 4.49 लाख रुपये कट गए। जब उन्होंने दोबारा ‘अंबानी’ को कॉल किया, तो उन्हें जवाब मिला, “मैं बहुत बिजी आदमी हूं। बार-बार कॉल न करें। मोहिता आपको सब समझा देगी।”
इसके बाद, मोहिता ने सर्वेश से कहा, “आपके पैसे गलती से आतंकवादी संगठन के खाते में चले गए हैं। अब यह डील कैंसिल हो गई है। कृपया इस बारे में किसी को न बताएं।”
पुलिस और साइबर सेल की जांच
ठगी का एहसास होते ही सर्वेश ने वाराणसी के लालपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और साइबर सेल को भी इसकी सूचना दी गई है। प्रारंभिक जांच में पता चला कि साइबर अपराधियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे कि फेसबुक मैसेंजर का उपयोग करके सर्वेश से संपर्क किया था।
साइबर विशेषज्ञ से सवाल-जवाब – जय प्रकाश सिंह, साइबर एक्सपर्ट
सवाल 1: यह घटना कैसे हुई और इससे क्या सबक लिया जा सकता है?
उत्तर:
इस घटना में साइबर अपराधियों ने एक बड़े नाम और आकर्षक योजना का इस्तेमाल किया। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि कोई भी बड़ी कंपनी, खासकर रिलायंस जैसी, सीधे कॉल करके इस तरह के ऑफर नहीं देती। अगर ऐसा कोई कॉल आए, तो उसकी सत्यता की जांच करें।
सवाल 2: ओटीपी शेयर करना कितना खतरनाक हो सकता है?
उत्तर:
ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) एक संवेदनशील जानकारी है। इसे किसी के साथ शेयर करना आपके बैंक अकाउंट को खतरे में डाल सकता है। इसे कभी भी किसी के साथ साझा न करें, चाहे वह खुद को किसी बड़ी कंपनी या सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करे।
सवाल 3: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सावधानी कैसे बरतें?
उत्तर:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अनजान लोगों के मैसेज और कॉल से सतर्क रहें। कोई भी लिंक या ऑफर को क्लिक करने से पहले उसकी जांच करें। निजी जानकारी, जैसे कि बैंक डिटेल्स या ओटीपी, कभी साझा न करें।
सवाल 4: अगर किसी के साथ साइबर फ्रॉड हो जाए तो क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर:
तुरंत अपने बैंक से संपर्क करके ट्रांजैक्शन ब्लॉक करें।
साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर सेल से संपर्क करें।
सवाल 5: आम लोगों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
साइबर सुरक्षा जागरूकता के लिए सोशल मीडिया, यूट्यूब चैनल, और सामुदायिक कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हमारे चैनल “साइबर प्रयागराज” का उद्देश्य लोगों को साइबर अपराधों के प्रति शिक्षित करना और उन्हें सुरक्षित रखना है।
निष्कर्ष
इस घटना ने दिखाया कि साइबर अपराधी कितने चालाक हो गए हैं। वे बड़े नामों और योजनाओं का सहारा लेकर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। लेकिन सही जानकारी और सतर्कता ही साइबर अपराधों से बचने का उपाय है।
याद रखें:
ओटीपी कभी किसी के साथ साझा न करें।
किसी भी अनजान कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें।
अगर आपको संदेह हो, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।
सतर्क रहें, जागरूक बनें, और दूसरों को भी साइबर सुरक्षा के प्रति सजग करें। यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं।
जागरूकता फैलाने में हमारा साथ दें।
