ओढगी गांव के अमृत सरोवर तालाब के निर्माण में बड़ा खेल।
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ओढगी गांव के अमृत सरोवर तालाब के निर्माण में बड़ा खेल।
भ्रष्टाचार में लिप्त ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा जमीनी हकीकत में मनरेगा योजना की रकम नहीं की गयी खर्च
AiN भारत न्यूज़ संवाददाता विनीत द्विवेदी की ख़ास रिपोर्ट शंकरगढ़ प्रयागराज
बारा प्रयागराज।। यमुनानगर के शंकरगढ विकासखंड क्षेत्र के ओढगी गांव में बनाए गए अमृत सरोवर तालाब के निर्माण में मनरेगा योजना से कच्चा और पक्का काम कराए जाने के नाम पर कई बार सरकारी खजाने से बजट निकाल लिया गया है। सरकार के विशेष निर्देश के बाद भी दो वर्ष बीत जाने पर अमृत सरोवर का काम पूरा नहीं हो सका है। आधा अधूरा तालाब का काम छोड़कर सरकार को पूर्ण काम की सूचना भी भेज दी गई है, जिससे लगता है,कि विभाग के अधिकारियों ने अमृत सरोवर तालाब के निर्माण की हकीकत देखने की जरूरत नहीं समझी है, और सब कुछ मनमानी तरीके से ग्राम पंचायत में होता रहा। मनमानी प्रस्ताव बनाकर सरकारी खजाने से रकम निकाली जाती रही। सूत्रों की माने तो इस तालाब के निर्माण में दो वर्षों में अलग-अलग लगभग 50 लाख से अधिक की सरकारी रकम खजाने से निकाल ली गई है जबकि मौके पर अमृत सरोवर तालाब में काम नहीं हुआ है। मनरेगा योजना से अमृत सरोवर तालाब के निर्माण में मजदूरो कि फर्जी मजदूरी दिखाई गई है। सबसे अहम भूमिका यह भी है। कि मजदूरों की मेहनत की मजदुरी भी नहीं दिया गया है ग्रामीणों की बातों को माने तो हकीकत यह है कि इस तालाब के निर्माण में 5 लाख रुपए की रकम भी नहीं खर्च की गई है। यह तालाब अभी भी दुर्दशा की शक्ल में खड़ा है, जिससे ग्राम प्रधान पंचायत सचिव से लेकर के खंड विकास अधिकारी शंकरगढ़ तक की भूमिका पर भी बड़े सवाल खड़े हैं। योजना की यदि शासन स्तर से जांच कराई गई तो योजना से जुड़े अमृत सरोवर तालाब के निर्माण में धांधली करने वाले कई अधिकारियों के चेहरे बेनकाब होंगे। अमृत सरोवर तालाब निर्माण में खर्च की गई रकम की मौके पर हकीकत की जांच कराई गई तो ग्राम प्रधान पंचायत सचिव से लेकर खंड विकास अधिकारी और एडीओ पंचायत की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े होंगे इतना ही नहीं डीसी मनरेगा के कार्यों पर भी बड़े सवाल खड़े होना लाजमी है। कि मनरेगा योजना से बड़ी-बड़ी रकम अभिलेखों में खर्च हो रही है। भ्रष्टाचार में लिप्त ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा जमीनी हकीकत में मनरेगा योजना की रकम नहीं खर्च की जा रही है। और उसके बाद सरकारी खजाने से रकम निकाल कर योजना में लगे जिम्मेदार उस रकम को हड़प कर रहे हैं। और डीसी मनरेगा ईमानदारी की ढपली बजा रहे हैं। आखिर योगी सरकार में भ्रष्टाचार मुक्त योजना कैसे लागू होगी। सूत्रों की माने तो मनरेगा योजना में 40 प्रतिशत की कमीशन खोरी विभागीय अधिकारियों द्वारा हो रही है, जो बड़ी जांच का विषय है। लेकिन उसके बाद भी मुख्य विकास अधिकारी ने मनरेगा योजना की कमीशन खोरी भ्रष्टाचार की अभी तक जांच कर दोषियों को दंडित नहीं किया है। जो मनरेगा योजना की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रहा है।