छोटी सी निशानी को हम पलकों मे सजाए बैठे है, सूरज सहानी
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छोटी सी निशानी को हम पलकों मे सजाए बैठे है, सूरज सहानी
AIN भारत News
घनश्याम कुशवाहा कि रिपोर्ट
सुकुमल हो उठता है मन जैसा साथ तुम्हारा हर पल हो
कुछ यादें यूं .
कांच के महल को दिल में जुगनू सजाए बैठे थे,
उन जुगनुओं ने तोडके दम वहाँ अंधेरा सजा दिया ।।
आजाद कर दूं मै खुद को खुद से अगर,
कम्बखत ओ तस्वीर फिर से नजर आती है ।
कुछ यादें यूं
आती न बरबसता अगर तलवे चाट लिए होते,
कसूर जिन्दगी का था इतना कि हमें जी हुजूरी न पसंद थी
मैं खो गया हूं भंवर में,इक आवाज लगा देना,
मुझसे मेरी वो पुरानी यादें निकाल देना ।।
कुछ यादें यूं ही यादें बनकर रह गयी,
नम पलकों मे सहमी यादें जिनकी यादों में न हम थे ।।
कुछ यादें यूं ही यादें बनकर रह गयी,
नम पलकों में गुजरी रातें,जिनके ख्वाबों में न हम थे ।
इस मरूस्थल हृदय में छुपी है खामोशियां,
पीके लहू हृदय का जिसमें पनपी है नागफनियां ।
वक्त-बेवक्त पहले जहाँ चाहा हंस लेते थे,
आज तो हंसी को तमीज और आंशुओं को तनहाई चाहिए ।।
कुछ यादें यूं
छोटी सी निशानी को हम पलकों मे सजाए बैठे है,
सुकुमल हो उठता है मन जैसा साथ तुम्हारा हर पल हो ।।
कुछ यादें यूं
कांच के महल को दिल में जुगनू सजाए बैठे थे,
उन जुगनुओं ने तोडके दम वहाँ अंधेरा सजा दिया ।।
आजाद कर दूं मै खुद को खुद से अगर,
कम्बखत ओ तस्वीर फिर से नजर आती है