बाबू जी राम राम साबुन काहे को लगा रहे हैं ? इतना सुनते ही बाबू जी ने भी हाथ जोड़ा और कहा भैया अब आगे से न लगाईव।
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बाबू जी राम राम साबुन काहे को लगा रहे हैं ? इतना सुनते ही बाबू जी ने भी हाथ जोड़ा और कहा भैया अब आगे से न लगाईव ! हम भी स्वयं चिंतन करें ! प्रकृति की वजह से ही हमारा जीवन है ! प्रकृति की रक्षा करना भी हमारा दायित्व है।
इस आग्रह को देखकर हमारे वरिष्ठ चिंतक और समाज सुधारक लोग यह भी कहते हैं भैया पहले वह जो फैक्ट्रियों और सीवर का मलजल गंगा में गिर रहा है उसको बंद करवाइए ! निश्चित रूप से नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से हमारी वर्तमान सरकार गंगा में किसी भी प्रकार के मल जल को रोकने के लिए कटिबद्ध है और यह प्रयास निरंतर जारी है । सन 2014 के पूर्व गंगा बेसिन क्षेत्र में मात्र 500 एमएलडी के एसटीपी प्लांट थे । वर्तमान में 6000 एमएलडी एसटीपी प्लांट विभिन्न शहरों में उपयोग में लाए जा रहे हैं और सैकड़ों की संख्या में एसटीपी आगे दीर्घकालिक अवधि में प्रयोग के लिए बनाए जा रहे हैं।
हम कहते हैं कि हे भैया क्या जब तक वह नहीं रुकेगा तब तक हम भी लाखों करोड़ों की संख्या में नागरिकगण मां गंगा की तरह ही अन्य माता की तरह हितकारिणी नदियों में अपने घर की पुरानी शीशा लगी हुई ईश्वर की तस्वीर, धार्मिक पुरानी वस्तुएं, धार्मिक कूड़ा कचरा, आस्था के नाम पर नए और पुराने कपड़े, साबुन शैंपू लगाकर स्नान। क्या इसी तरह रोजाना हजारों किलो की संख्या में गंगा में प्रवाहित करते रहेंगे ? यह लगती तो सभी छोटी-छोटी बातें हैं परंतु यदि हम इसको रोक ले तो क्या यह नदियों के किनारे लगे कूड़े कचरे के अंबार को हटाने में सहयोग नहीं होगा ! राष्ट्र की खातिर कृपया विचार करें।
निवेदन : मां गंगा में किसी भी प्रकार की कोई गंदगी न करें , न किसी को करने दें और न होते हुए देखें ! किसी भी प्रकार की गंदगी का पुरजोर विरोध करें ! चाहे वह किसी भी प्रकार का मल जल हो ! उसकी तस्वीरें वीडियो बनाएं और अपने क्षेत्र के आदरणीय जिलाधिकारी को नगर आयुक्त महोदय को जरूर प्रेषित करें जरूर शिकायत करें ! यह राष्ट्र का कार्य है।
राजेश शुक्ला गंगा सेवक संयोजक नमामि गंगे काशी क्षेत्र