संविदा कर्मियों के वेतन विसंगति जो आज बांस की फांस बना
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स्लग- संविदा कर्मियों के वेतन विसंगति जो आज बांस की फांस बन चुका है!
स्थान- जिला बदायू उत्तर प्रदेश, से खास रिपोर्ट-
आज के मुख्य समाचार इस प्रकार हैं मैं न्यूज़ रिपोर्टर रविकांत भारती AIN भारत न्यूज़ उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षामित्र और उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्य कर रहे सभी अनुदेशकों के बारे में, आज उनकी ग्रांड जारी की गई है उसमें उनके वेतन में में भारी कटौती की गई है जो बहुत ही निंदनीय है वेतन कटौती का कारण यह है कि जो प्रदेश के सभी उच्च प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय में शीतकालीन अवकाश उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 15 दिन का घोषित किया गया था उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारें भी करती चली आ रही हैं लेकिन आज तक, किसी भी संविदा कर्मी अध्यापक का वेतन कटौती नहीं किया गया था पूरा वेतन संविदा कर्मियों को दिया लेकिन उन्हीं विद्यालय में कार्यरत नियमित अध्यापकों का कोई भी वेतन नहीं काटा गया जबकि उन अध्यापकों का वेतनमान 60-70,000 ₹ तक सरकार द्वारा , प्रदान किया जाता है उनके वेतन से कोई भी कटौती का जिक्र नहीं है जबकि संविदा कर्मी भी उसी विद्यालय में रहकर अध्यापन कार्य करते हैं उनके साथ कंधे से !कंधा मिलाकर कार्य करते हैं जबकि वह अंशकालिक के रूप में कार्य कराया जाता है जबकि संविदा कर्मी फुल टाइम विद्यालय में रहकर काम करते हैं और कड़ी मेहनत, और लगन से अपने कार्य को करते है जबकि बच्चों मे आज बेसिक में पढ़ रहे बच्चों के अंदर पढ़ाई को लेकर गुणवत्ता को लेकर देखने को जो मिलती हैं वह सभी संविदा कर्मियों को श्रेय जाता है जबकि उन अंशकालिक का वेतन देकर 9000 या 10000 देकर भगा दिया जाता है उसमें से भी वेतन कटौती उन्हीं संविदा कर्मियों की जाती है यह खबर बहुत ही दुखद है सरकार को इन संविदा कर्मियों के साथ दोहरा व्यापार या दोहरा व्यवहार नहीं करना चाहिए जोकि इन सभी मेहनत करने वाले संविदा कर्मियों के साथ उनका शोषण करना है जो कि 60000 वेतन दे रहे अध्यापकों का वेतन नहीं काटा जाता है और संविदा कर्मियों को ₹9000 या ₹10000 में से 15 दिन का अवकाश का वेतन काट लिया जाता है जो कि 60000 वेतन लेने वाले अध्यापकों ने भी 15 दिन के अवकाश का लुफ्त उठाया है ना कि सबका स्नेह विद्यालय में पढ़ाने आया नहीं तो क्या है मैं सभी अधिकारियों और शासन में बैठे सभी पदों पर उन सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि आज इस महंगाई के दौर में कैसे अपने बच्चों का भरण-पोषण करते होंगे मैं अपने बच्चों को कैसे में खर्चा चलाते होंगे जरा ध्यान देने की जरूरत है जरा हम सभी लोग अपनी तरफ ध्यान देते हुए सभी संविदा कर्मियों अंधेरिया शिक्षामित्र की तरफ ध्यान देते हुए सोचने की जरूरत है इस समस्या में जल्द से जल्द निपटारा कैसे किया जाए यह हमारी समाज या देश की भाभी बच्चों का भविष्य का मामला है जो भी विद्यालय में पढ़ने जाते हैं उनकी अच्छी पढ़ाई लिखाई का मामला है वह हमारे देश के कर्णधार हैं जो इन संविदा कर्मियों की मेहनत पर डिपेंड करते हैं अंदेशा को शिक्षामित्र स्कूलों में मेहनत करते हुए बच्चों को शिक्षा देते हैं और अपने आगे आने वाले नियमितीकरण के लाभ को पाने की वजह से यह अपने विद्यालय में कड़ी मेहनत करते हैं और यह भी आशा करते हैं कि हमारा वेतन बढ़ा दिया जाएगा बेचारी इन्हीं उम्मीदों के साथ अपनी मेहनत में लगे रहते हैं जिससे बच्चों के अंदर अच्छी गुणवत्ता देखने को मिल रही है मेहनत करने वाले शिक्षा मित्रो का वेतन काटा जाना एक निंदनीय खबर है।