October 4, 2025 16:12:23

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51 साल के हुए योगी… अजय बिष्ट से आदित्यनाथ, महंत से बुलडोजर बाबा बनने की पूरी कहानी

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 51 वर्ष के हो गए। 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्में योगी आदित्यनाथ का नाम उनकी माता सावित्री देवी और पिता आनंद सिंह बिष्ट ने अजय रखा था। अजय सिंह बिष्ट बाद में गोरखनाथ मंदिर के महंत अवेद्यनाथ के संपर्क में आए।

गोरखपंथ की दीक्षा लेने के बाद उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया। इसके बाद योगी अपने गुरू अवेद्यनाथ की विरासत के उत्तराधिकारी के तौर पर सक्रिय राजनीति में उतरे। प्रदेश की सियासत में शिखर तकर पहुंचने से पहले योगी के जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव भरे घटनाक्रम हैं। आइए, तस्वीरों के जरिए योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक यात्रा को देखने की कोशिश करते हैं।


पिता का व्यापार
योगी आदित्यनाथ कुल सात भाई-बहन हैं। उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट चाहते थे कि अजय उनके ट्रांसपोर्ट के बिजनस में मदद करें लेकिन इस व्यापार में अजय सिंह बिष्ट की दिलचस्पी नहीं थी। उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी से मैथ्स में बीएससी की डिग्री हासिल की।


अवेद्यनाथ से मुलाकात
1990 के दौर में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन अपने उत्कर्ष पर था। अजय सिंह बिष्ट ने भी इस आंदोलन में हिस्सा लिया। इसी से संबंधित एक कार्यक्रम में अजय सिंह की मुलाकात गोरखनाथ मंदिर के महंत अवेद्यनाथ से हुई थी। अवेद्यनाथ से वह काफी प्रभावित हुए।


योगी का गृहत्याग
साल 1993 में एक दिन नौकरी का बहाना देकर अजय घर छोड़कर गोरखपुर चले गए। एक साल तक उनके घर वालों को कुछ पता नहीं था कि उनका बेटा कहां है? कहते हैं कि इस दौरान योगी ने अपने पिता को कई बार पत्र लिखा लेकिन उन्हें उनके पते पर कभी नहीं भेजा।


गोरखपंथ की दीक्षा
15 फरवरी 1994 को महंत अवेद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को गोरखपंथ की दीक्षा दी। इस दौरान अजय योगी आदित्यनाथ बन गए। इसके चार साल बाद ही 1998 में अवेद्यनाथ ने योगी को गोरखनाथ मठ के साथ-साथ अपनी राजनैतिक विरासत का भी उत्तराधिकारी बना दिया।
सबसे युवा सांसद
साल 1998 में योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ 26 साल की उम्र में पहली बार गोरखपुर से संसदीय चुनाव लड़ा। वह 26 हजार वोटों से चुनाव जीते। पहली बार जीत के बाद संसद में उन्होंने संस्कृत में सांसद के तौर पर शपथ ली। इसके अगले ही साल फिर चुनाव हुए तो योगी ने फिर जीत दर्ज की। जीत का यह सिलसिला उनके यूपी का मुख्यमंत्री बनने तक अनवरत जारी रहा।
गोरखनाथ मंदिर में फरियादी
गोरखनाथ मंदिर में बतौर जनप्रतिनिधि लोगों की फरियाद सुनने के लिए भी योगी आदित्यनाथ मशहूर हैं।
विनोद खन्ना ने किया प्रचार
साल 1998 के चुनाव में योगी आदित्यनाथ के पक्ष में प्रचार करने के लिए फिल्म अभिनेता विनोद खन्ना भी आए थे। चुनाव के बाद भी दोनों के बीच अच्छे संबंध बने रहे।
संसद में आखिरी भाषण
साल 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जीत हासिल हुई। योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया। 21 मार्च को गोरखपुर से सांसद के तौर पर उन्होंने आखिरी बार अपना भाषण दिया और फिर उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालने लखनऊ पहुंच गए।
पहली बार सीएम
साल 2017 में पहली बार सीएम बनने के बाद तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने योगी आदित्यनाथ को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी।
दो डिप्टी सीएम के साथ शपथ
योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए। योगी के साथ दो उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश चंद्र शर्मा ने भी शपथ ली।

 

क्राइम ब्यूरो महराजगंज AIN भारत NEWS कैलाश सिंह

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