नशे के मकड़जाल में फंस रहा युवा वर्ग
1 min readमहराजगंज,जिले के युवा नशे के मकड़जाल में फंसकर बर्बादी के कगार पर पहुंच रहे हैं। इससे उनकी सेहत तो खराब हो ही रही है साथ ही उनका सामाजिक स्तर भी गिरता जा रहा है। लोगों की मानें तो नशे का सामान मेडिकल स्टोरों और बुक डिपो आदि पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। इस पर रोक लगाने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की ओर से बार-बार कार्रवाई की जाती है, लेकिन इसके क्रेता और विक्रेता अपनी आदत में बदलाव लाने को तैयार नहीं हैं।
युवा वर्ग नशे के दलदल में फंसता जा रहा है। नशाखोरी की आदत 12 से 20 साल तक के युवाओं में अधिक देखने को मिल रही है। इससे आने वाली पीढ़ी के भविष्य पर संकटों के बादल मंडराने लगे हैं। चिकित्सकों की मानें तो कुछ लोगों के जहन में ये बात आने पर कि उनका बच्चा किसी नशे की लत में लग गया है तो वे उसे नशा मुक्ति केंद्र पर डालने की कोशिश करते हैं। इससे उसकी यह आदत बिल्कुल भी नहीं छूटेगी। क्योंकि नशे की आदत छुड़ाने का सही इलाज चिकित्सकों के पास ही है। चिकित्सकों का यहां तक दावा है कि कुछ दिनों उपचार करने के बाद पूरी तरह से नशे से आजादी पाई जा सकती है।
मेडिकल स्टोरों से नशे की गोली आसानी से मिल जाती हैं, जबकि बुक डिपो आदि पर फ्लूड आसानी से उपलब्ध हो जाता है। युवा व्हाइटनर यानी फ्लूड हाथ पर लगाकर या फिर रुमाल आदि के माध्यम से उसे सूंघकर नशा करते हैं। साथ ही कफ सीरप कोरेक्स, दर्द निवारक आयोडेक्स को ब्रेड पर लगाकर खाते हैं। इसके कुछ देर बाद ही नशा होना शुरु हो जाता है। हालांकि कुछ युवा शराब को दावत का अहम हिस्सा मानते हैं और शराब पीकर भी नशे का आनंद लेते हैं। लेकिन शराब पीने वालों से ज्यादा भांग का गोला, चरस, अफीम, स्मैक आदि का इस्तेमाल करते हैं।
जिले में युवाओं से नशाखोरी को छुड़ाने के लिए रैकी कर अभियान चलाया जाता है। पिछले एक साल में कई मेडिकल स्टोर पर प्रतिबंधित दवाएं मिलने पर कार्रवाई की गई और ऐसे कई मेडिकल स्टोर के लाइसेंस भी निरस्त किए गए। उन्होंने बताया कि यदि जिले के किसी भी मेडिकल स्टोर पर अगर इस तरह की दवाओं के बिकने के बारे में पता चलता है तो वे तुरंत उन्हें सूचित करें। सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी। परन्तु सूचना देने वाले पर काल के बादल मंडराने लगते हैं विभाग ही उनका दुश्मन बन जाता है।
युवाओं में नशे की लत से बढ़ रहा क्राइम
जिले में युवा पीढ़ी के नशे की जद में आने के बाद से अपराधों इजाफा हो रहा है। युवा विभिन्न माध्यमों से नशा कर जरायम की दुनिया में कदम रख रहे हैं। पिछले दो सालों के पुलिस आंकड़ों पर गौर किया जाए तो रोड होल्डअप से लेकर मर्डर तक में युवा अहम रोल में देखे गए हैं। चोरी, डकैती, लूटपाट आदि करना मानों उनका शौक बन गया हो। इन वारदातों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग के आरोपी थे। नशे का सबसे आसान तरीका फ्लूड है। युवा हाथ पर या फिर रुमाल पर व्हाटनर यानी फ्लूड लगाकर उसे सूंघते हैं। नशे जद में केवल लड़के ही नहीं, बल्कि लड़कियां बड़े स्तर पर नशे की आदी हो चुकी हैं।
ये हैं नशा करने के नुकसान
1. किसी भी प्रकार का नशा करने से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है।
3. बार-बार उल्टी दस्त लगने शुरू हो जाते हैं।
4. दिमाग में सूजन आने का खतरा रहता है।
5. हार्टअटैक के चांस बढ़ जाते हैं।
6. फेफड़ों और गले में कैंसर होता है।
7. नेत्र ज्योति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
क्राइम ब्यूरो महराजगंज AIN भारत NEWS कैलाश सिंह