कितना बड़ा खतरा बन सकती है गर्मी
1 min readमहराजगंज,तापमान बढ़ने का सीधा-सीधा मतलब है मानव जीवन पर संकट खड़ा होना. तापमान बढ़ने से भयानक सूखा पड़ सकता है. ग्लेशियर पिघल सकते हैं. समंदर में पानी का स्तर बढ़ सकता है. इन सबके कारण कई प्रजातियां भी विलुप्त हो सकतीं हैं.
दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जो बर्फ को पिघला रहा है और इस कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं. ग्लेशियर तब पिघलते हैं, जब बर्फीली चादरें तेजी से पिघलने लगतीं हैं.
बर्फ की इन चादरों के पिघलने से समुद्र का जल स्तर बढ़ने लगता है. इतना ही नहीं, इससे समुद्र का खारापन भी कम होता है. वो इसलिए क्योंकि इन बर्फ की चादर में ताजा पानी होता है जो समंदर के खारेपन को कम करते हैं और इस कारण समुद्र में रहने वाले जीव पर बुरा असर पड़ सकता है.
इतना ही नहीं, इस कारण खाद्य संकट भी बढ़ सकता है. पिछले साल वर्ल्ड मीटियरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में बताया गया था बढ़ती गर्मी की वजह से भारत में गेहूं की फसल के उत्पादन में कम से कम 20 फीसदी कमी आई है. साथ ही पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों की 10 से 35 फीसदी तक गेहूं की फसल खराब हो गई थी.
हाल ही में क्रॉस डिपेंडेंसी इनिशिएटिव की रिपोर्ट आई थी. इसमें बताया गया था उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और केरल पर जलवायु परिवर्तन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. इसके मुताबिक, 2050 तक इन राज्यों में जलवायु परिवर्तन से बड़े भयानक हालात होने वाले हैं.
वहीं, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि भारत के 60 करोड़ लोग यानी आधी आबादी ऐसी जगह रहती है, जहां 2050 तक जलवायु परिवर्तन के गंभीर नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। इतना ही नहीं। 2019 में आई इंटरनेशल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि बढ़ती गर्मी की वजह से 2030 तक भारत में सामान्य जन जीवन छती ग्रस्त रहेगा ।
क्राइम ब्यूरो महराजगंज AIN भारत NEWS कैलाश सिंह