October 6, 2025 02:55:07

AIN Bharat

Hindi news,Latest News In Hindi, Breaking News Headlines Today ,हिंदी समाचार,AIN Bharat

हजरत इमाम हुसैन और कर्बला का वाक्या

1 min read

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female”]

[URIS id=18422]

महराजगंज,हज़रत अमीर मुआविया रज़ियल्लाहु तआला अन्हो की विशाल के बाद आपके बेटे यज़ीद को खिलाफत मिल जाती है ।यज़ीद एक बदतरीन और बदबख्त शैतान था शराबी था ज़ानी था ।यज़ीद को जब खिलाफत मिली तो यज़ीद समझ गया कि मेरी खिलाफत को हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो कभी कुबूल नहीं करेंगे इसलिए यज़ीद मदीना मुनव्वरा के गवर्नर वलीद बिन उतबा को खत लिखा की हुसैन इब्ने अली अब्दुल्लाह इब्ने उमर और अब्दुल्लाह इब्ने ज़ुबैर रज़ियल्लाहु तआला अन्हो को कहो की मेरी बैअत को माने और अगर वो बात ना माने तो उन पर जुल्मों सितम करना।
हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने यज़ीद की बैअत करने से इनकार कर दिया। क्योंकि यज़ीद आपके नज़दीक मुसलमानों के इमामत और खिलाफत के लायक नहीं था क्योंकि आप जानते थे यज़ीद फासिको-फाज़िर था ज़ानी था शराबी था और ज़ालिम था ।इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो मदीना शरीफ छोड़कर मक्का शरीफ तशरीफ ले आए ।अब आपको मक्का शरीफ में कूफ़ियों के ढेर सारे खत आने लगे ।उन खातों में लिखा हुआ था ऐ इमाम हुसैन आप कूफ़ा तशरीफ़ ले आइए यहां पर यज़ीद का जुल्मों सितम बढ़ता चला जा रहा है ।हम आपसे ही बैअत करेंगे यज़ीद की बैअत हमें हरगिज़ क़ुबूल नहीं है।हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने हालात को समझने के लिए अपने भाई मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु तआला अन्हो को यह कहकर कूफा भेजा कि जाओ जाकर वहां के हालात मालूम करो वहां के हालात कैसे हैं ।जब मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु तआला अन्हो कूफ़ा पहुंचे तो वहां के लोगों ने बड़े ही एहतेराम के साथ आपका इस्तकबाल किया। हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के हाथों में 18 हज़ार लोगों ने बैअत कर ली और हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु तआला अन्हो ने अपने भाई हज़रत इमाम हुसैन के नाम एक ख़त रवाना कर दिया जिसमें आपने लिखा। यहां के हालात बिल्कुल सही है और 18 हज़ार लोगों ने बैअत भी कर ली है लिहाजा आप कूफ़ा जल्द से जल्द तशरीफ ले आए।
लेकिन जब यज़ीद ने उन लोगों को धमकीयां और लालच दी तो वह लोग अपनी बात से मुकर गए और इमाम मुस्लिम बिन अक़ील रज़ियल्लाहु तआला अन्हो को शहीद कर दिया ।कूफ़ा के हालात इतने बदल चुके थे कि वह लोग जो हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील से मोहब्बत का दावा कर रहे थे। अब वही लोग आपकी जान के दुश्मन बन गए ।वहीं दूसरी तरफ मक्का में मुस्लिम बिन अक़ील का भेजा हुआ खत हज़रत इमाम हुसैन तक पहुंच चुका था। जिस खत में लिखा हुआ था कि कूफ़ा के हालात बहुत अच्छे हैं ।आप जल्द से जल्द तशरीफ ले आए लिहाजा हज़रत इमाम हुसैन ने फ़ौरन कूफ़ा जाने की तैयारी शुरू कर दी।हज़रत इमाम हुसैन अपने तमाम अहले खाना के साथ कूफ़ा के लिए रवाना हुएl इमाम हुसैन इब्ने अली को हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील की शहादत और कूफा की बेवफाई की खबर उस वक्त मिली जब आप मक्का शरीफ से कूफ़ा की तरफ रवाना हो चुके थेl जब आप कूफ़ा शहर के बिल्कुल करीब पहुंच गए तो आपको यज़ीदी फौज ने रोकने की कोशिश की हज़रत इमाम हुसैन ने फरमाया कि मैं तुम लोगों के बुलाने पर ही कूफ़ा शहर में आया हूं अगर तुम लोग चाहते हो कि मैं ना आऊं तो वापस जाने दो मैं जाने के लिए तैयार हूं lयज़ीदी फौज ने हज़रत इमाम हुसैन को कूफ़ा शहर में दाखिल नहीं होने दियाl
लिहाज़ा हज़रत इमाम हुसैन अपने पूरे काफिले के साथ अपना रास्ता बदल लिए चलते-चलते जब आप एक चटियल मैदान में पहुंच गए तो आपने एक शख्स से सवाल किया l यह कौन सी जगह है ,उस शख्स ने कहा इस जगह को कर्बला कहा जाता है ,आपने फ़ौरन अपने पूरे लश्कर को हुक्म दिया कि यहीं पर खेमा लगा दिया जाए। मोहतरम अज़ीज़ दोस्तों इस तरह से हज़रत इमाम हुसैन कर्बला में पहुंचे ।उधर यज़ीदी फौज को जब इस बात का इल्म हुआ की हज़रत इमाम हुसैन ने अपना खेमा करबला के मैदान में लगाया हुआ है ,तो यज़ीदी फौज ने भी फ़ौरन कर्बला के मैदान में पहुंचना शुरू कर दिया।यज़ीद की जो फ़ौज कर्बला पहुँच रही थी lउनकी सिपह सालारी इब्ने साद कर रहा था lहज़रत इमाम हुसैन ने इब्ने साद से कहा कि या तो तुम मुझे यज़ीद के पास ले चलो या फिर मुझे अपने शहर मक्का वापस जाने दो लेकिन इब्ने साद इन दोनों बातों में से कोई भी बात नहीं मानी और वो आपको बैअत करने पर मजबूर करता रहा, लेकिन हज़रत इमाम हुसैन ने उसकी बात से इंकार कर दिया दिन गुज़रते गएl
और तीन मोहर्रम का दिन आ गया अब ज़ालिम यज़ीद ने इमाम हुसैन के सामने 22 हज़ार सिपाहियों का लश्कर भेज दियाl दूसरी तरफ हज़रत इमाम हुसैन के साथ 82 लोग थे जिसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थेl कितनी हैरत की बात है कि यज़ीदियों में इमाम हुसैन का इतना खौफ था कि जहां इमाम हुसैन सिर्फ 82 लोगों के साथ मैदान ए कर्बला में थे जिसमें औरतें और बच्चे भी शामिल थेl वहीं यज़ीद ने मुकाबले के लिए आपके सामने 22 हज़ार का लश्कर भेज दिया lजो कि इमाम हुसैन के सामने 100 गुना से भी ज्यादा थाlइमाम हुसैन के सामने यज़ीदी फौज के हौसले पस्त हो गए और उन लोगों में से किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं थी की वो हज़रत इमाम हुसैन से मुक़ाबला कर सके आखिरकार उन्होंने यह फैसला किया कि अगर इमाम हुसैन को हराना है तो उनका पानी बंद करना पड़ेगा तभी इनका मुकाबला किया जाl सकता है दिन गुज़रते गए और सात मुहर्रम का दिन आ गया और सात मोहर्रम को ही यज़ीदी फौज ने इमाम हुसैन के काफिले वालों पर पानी बंद कर दियाl
आपको बताते चलें कि कर्बला के मैदान में पानी का कोई भी इंतज़ाम नहीं थाl सिवाय नहरे फुरात के लेकिन सात मोहर्रम के दिन नहरे फुरात का पानी भी हज़रत इमाम हुसैन के खेमे वाले लोगों के लिए बंद कर दिया गयाl हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथ मौजूद तमाम नौजवान लोग तो इस प्यास को बर्दाश्त करते रहे लेकिन छोटे-छोटे बच्चे और औरतों का प्यास की वजह से बुरा हाल हो चुका था lफौजे यज़ीद जो चारों तरफ से इमाम हुसैन के घर वाले और तमाम साथियों को घेरे हुवे थीl उन्होंने यह तय किया कि अब नौ मोहर्रम के दिन इमाम हुसैन को कत्ल कर दिया जाए (माज़अल्लाह)l
हज़रत इमाम हुसैन ने हज़रत अब्बास रज़ियल्लाहु तआला अन्हो से कहा अब्बास जाओ यज़ीदी फ़ौज के पास और उनसे कहो हमें एक रात अल्लाह की इबादत करने के लिए दी जाएl जब हज़रत अब्बास ने यज़ीदी फ़ौज से एक रात की मोहलत के लिए कहा तो उन लोगों ने आपकी बात मान ली जब तक 9 मोहर्रम की तारीख आई तब तक हज़रत इमाम हुसैन को यह यकीन हो चुका था कि यज़ीद की फौज का मकसद सिर्फ और सिर्फ मुझे शहीद करना हैl इसके अलावा यज़ीद और कुछ भी करने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए हज़रत इमाम हुसैन ने 9 मुहर्रम की रात में अपने तमाम खेमे वालों को एक जगह पर इकट्ठा कियाlऔर आपने कहा कि यह बात तो तय हो चुकी है lयहां पर मौजूद सभी लोग एक-दो दिन के अंदर शहीद कर दिए जाएंगे इसलिए यहां मौजूद आपमें से जो भी वापस लौटना चाहते हैं वह लौट जाएँ lहज़रत इमाम हुसैन ने फौरन खेमे में जल रहे तमाम दियो को बुझवा दिया और अंधेरा करवा दिया था ताकि जो भी जाना चाहे वो चला जाए lथोड़ी देर बाद जब दियों को दोबारा जलाया गया तो सारे के सारे लोग बैठे आंसू बहा रहे थे यानी कोई भी हज़रत इमाम हुसैन को छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं थाlआखिरकार 10 मोहर्रम का दिन आया और हज़रत इमाम हुसैन और यज़ीद की फौज के बीच जंग होना शुरू हो गई lजहां एक तरफ यज़ीद की एक बड़ी फ़ौज थी तो वहीं दूसरी तरफ इमाम हुसैन के साथ सिर्फ 72 लोग थे lइतने में फौजे यज़ीद का हमला शुरू हो जाता है और हर शहीद शहादत का जाम पीता गया कभी हुर शहीद होते हैं तो कभी कासिम शहीद होते हैं तो कभी अली अकबर शहीद होते हैं तो कभी औनो मोहम्मद शहीद होते हैं l3 दिन के प्यासे इमाम हुसैन के घर वाले और तमाम लोग यज़ीदी फौज से जंग करते रहे और एक-एक करके शहीद होते गएl
हज़रत अब्बास अलमदार से हज़रत इमाम हुसैन के 6 महीने के बेटे अली असगर की प्यास नहीं देखी गई आपने एक मस्कीज़ा लिया l घोड़े पर सवार होकर नहरे फुरात के किनारे पहुंच गए और आपने एक मस्कीज़ा भर लिया लेकिन जब आप पानी लेकर वापस लौटने लगे तो यज़ीदी फौज ने आपके ऊपर लगातार तीर बरसाना शुरू कर दिया था lहज़रत अब्बास जब तक हज़रत इमाम हुसैन के खेमे तक पहुंच पाते तब तक यज़ीदी फौज ने तीर चला कर हज़रत अब्बास अलमदार को शहीद कर दिया था lइस तरह हज़रत अब्बास अलमदार शहीद हो गएlइस तरह एक-एक करके तमाम अहले बैत के नौजवान और हाशमी शेर शहादत का जाम पी लेते हैं lधीरे-धीरे करके जब हज़रत इमाम हुसैन के सभी अफ़राद शहीद हो गए तो उसके बाद हज़रत इमाम हुसैन ने खुद मैदान में तलवार लेकर निकलने का फैसला किया lइमाम हुसैन अपनी तलवार से काफी लंबे वक्त तक यज़ीदी फौज का अकेले मुकाबला करते रहे हज़रत इमाम हुसैन के तन्हा होने के बावजूद भी आप के मुकाबले में कोई भी नहीं आना नहीं चाहता थाl उसकी सिर्फ एक ही वजह थी और वजह यह थी कि आप हज़रत अली के बेटे थे।
उस वक्त यज़ीदी फ़ौज का एक कमांडर इब्ने साद को यह यकीन हो चुका था कि हम किसी भी तरह से हज़रत अली के बेटे का मुकाबला नहीं कर सकते हैंl इसलिए उसने अपने तमाम फौजियों को इमाम हुसैन के ऊपर एक साथ हमला करने का आर्डर दिया lतमाम लोग हज़रत इमाम हुसैन पर एक साथ मिलकर हमला कर रहे थे लेकिन उसके बावजूद भी इमाम हुसैन लगातार यह साबित कर रहे थे। बातिल चाहे तादाद में जितने भी हो लेकिन वो हक और सच के मुकाबले में बिल्कुल भी टिक नहीं सकता।जब हुसैनीयत और यज़ीदियत के बीच बड़ी ही खतरनाक जंग चल रही थी कि इसी बीच में नमाज़े असर का वक्त हो गया हज़रत इमाम हुसैन ने ऐसे मुश्किल वक्त और ऐसी जख्मी हालत में भी असर की नमाज़ पढ़ने का इरादा किया आपने जैसे ही नमाज़ पढ़ना शुरू किया यज़ीदी फौज को वह मौका मिल गया जिसका वह लोग एक लंबे वक्त से इंतज़ार कर रहे थे यानी जैसे ही हज़रत इमाम हुसैन सजदे में गए सिमर जिल जोसन ने आपकी गर्दन पर तलवार चलाकर आपके सर मुबारक को जिस्म से जुदा कर दिया.

हज़रत इमाम हुसैन की शहादत के बाद यज़ीदियों ने आपके सर मुबारक को नेज़े पर रखकर पूरे कूफ़ा में घुमाया था आपके सर मुबारक को गली-गली में घुमा कर जुलूस निकाला गया था कर्बला की इस जंग में हज़रत इमाम हुसैन के घर वालों में से सिर्फ आपकी एक औलाद ही बच सकी थी जिनका नाम हज़रत ज़ैनुल आब्दीन था इसके अलावा हज़रत इमाम हुसैन के घर की तमाम औरतों को कैदी बनाकर कूफ़ा लाया गया था भले ही उस दिन इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो को शहीद कर दिया गया था लेकिन आज भी हज़रत इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो पूरी दुनिया में कयामत तक के लिए जिंदा है | यज़ीद डूब गया शाम के अंधेरे में हुसैन ज़िंदा हैंहर दिल में रोशनी की तरह।
दोस्तों अल्लाह तआला की बारगाह में अल्लाह हम सय्य्दना इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो से सच्ची मोहब्बत करने की तौफ़ीक़ दे और लिखने या हमारे पढ़ने में किसी क़िस्म की गलती हुई हो तो अल्लाह इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हो के सदके में माफ़ करे।

क्राइम ब्यूरो महराजगंज AIN भारत NEWS कैलाश सिंह

नमस्कार,AIN Bharat में आपका स्वागत है,यहाँ आपको हमेसा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 7607610210,7571066667,9415564594 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें