खुद बाबा साहब आ जाए तो भी संविधान नहीं बदलेगा

खुद बाबा साहब आ जाए तो भी संविधान नहीं बदलेगा।
पीएम मोदी ने यह बात कहकर कांग्रेस और इंडिया का मुंह बंद किया।
इंडिया गठबंधन खासकर कांग्रेस के नेता अक्सर कहते हैं कि 2025 में चुनाव जीतने के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी देश का संविधान खत्म कर देगें। यानि देश में आरक्षण की व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी। कांग्रेस के नेताओं के ऐसे बयानों से आरक्षण का लाभ लेने वाली जातियों के लोग भी आशंकित होते हैं। लेकिन 12 अप्रैल को पीएम मोदी ने राजस्थान के बाड़मेर में एक चुनावी सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि संविधान के निर्माता बाबा साहब भी आजायें तो भी संविधान खत्म नहीं होगा। मोदी ने कहा कि विपक्ष बेवजह जनता को गुमराह करता है। जो लोग आज बाबा साहब के नाम की दुहाई दे रहे हैं उन्होंने कभी भी डा. बी आर अम्बडेकर का सम्मान नहीं किया। काग्रेस जैसे दलों ने तो बाबा साहब को चुनाव में ही हरवा दिया। जबकि पिछले 10 वर्षों में वर्षों में भाजपा की सरकार ने आंबडेकर को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। आज आरक्षित वर्ग के लोग स्वयं को गौराहित समझते है। अंबडेकर के नाम से अनेक योजनाओं को चलाया गया है। मोडी ने कहा
के आरक्षण को समाप्त करने की बात कांग्रेस की ओर से बार बार कही जाती है। लेकिन विछले 10 वर्षों में भाजपा
के शासन में ऐसा कोई काम नहीं हुआ जिसकी वजह से देश में आरक्षण की व्यवस्था कमजोर हुई हो। मोदी ने 12 अप्रैल को जिस दृढता के साथ देश में लोकतंत्र और संविधान को बनाए रखने की बात कही उसे इंडिया और कांग्रेस के नेताओं का अब मुंह बंद हो जाना चाहिए । जो लोग लोकतंत्र को समाप्त करने का आरोप लगाते हैं, उन्हें पश्चिम बंगात, तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक जैसे राज्यों के हालातों का अध्ययन करना चाहिए। इन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारें मनमर्जी से चल रही है। देखा जाए तो इन राज्यों में आम लोगों के पास लोकतांत्रिक अधिकार ही नहीं है। ‘कई क्षेत्रों में तो लोग अपनी मर्जी से वोट भी नहीं डाल सकते। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में महिलाओं को बुर्का पहन कर वोट देने की छूट है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे मतदान केन्द्रों पर वोटिंग किस तरह होती होगी। इतनी
भाजादी के बाद भी नरेन्द्र मोदी पर तोकतंत्र को खत्म
करने का आरोप लगाया जाता है। यदि नरेन्द्र मोडी तानाशाह प्रवृत्ति के होते तो अब तक पश्चिम बंगाल और
केरल की सरकार बर्खास्त हो जानी चाहिए थी। उल्टें
मोदी सरकार इन दोनों राज्यों के राज्यपालों की रिपोटों
की अनदेखा कर रही है । यदि राज्यपालों की रिपोर्ट पर
कार्यवाही की जाए तो के इन दोनों राज्य में तत्काल प्रभाव राष्ट्रपति शासन लग जाना चाहिए। बंगाल में तो ईडी और सीबीआई की टीमों पर खुलेआम में लोग हमले करते हैं, उन्हें एक बार पश्चिम बंगाल और केरल जाकर कुछ दिन रहना चाहिए। ऐसे लोगों को धर्म निरपेक्षता की हकीकत समझ में आ जाएगी।