तो क्या हनुमान बेनीवाल की वजह से नागौर में कांग्रेस खत्म हो जाएगी?
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तो क्या हनुमान बेनीवाल की वजह से नागौर में कांग्रेस खत्म हो जाएगी?
ज्योति मिर्धा, रिछपाछ मिर्धा, विजयपाल मिर्धा के बाद कुचेरा नगरपालिका के अध्यक्ष तेजपाल मिर्धा का इस्तीफा कांग्रेस को बहुत नुकसान पहुँचायेगा।
ऐसा प्रतीत होता है कि राजस्थान के नागौर संसदीय क्षेत्र में आरएलपी से गठबंधन कर कांग्रेस ने आत्मघाती फैसला किया है। कांग्रेस यहां से आरसलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल को समर्थन दे रही है, लेकिन बेनीवाल की कार्य- शैली से कांग्रेस के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता खुश नहीं है। बेनीवाल को भी कांग्रेस के बजाए नागौर में अपनी पार्टी को मजबूत करने की ज्यादा चिंता है। 12 अप्रैल को हो बेनीवाल की शिकायत पर जब कुचेरा नगरपालिका के अध्यक्ष तेजपाल मिर्धा को कांग्रेस से निलम्बित किया है तो मिर्धा सहित कांग्रेस के 21 पार्षदों और 400 से भी ज्यादा पदाधिकारियों एवं कार्यकताओं ने ‘कांग्रेस छोड़ दी। इसे कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। इससे पहले पूर्व मंत्री रिछपाल मिर्धा, विजयपाल मिर्धा आदि ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी । इतना ही नहीं अभी भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रही ज्योति मिर्धा भी कांग्रेस से ही आई है। कहा जा सकता है कि कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले नागौर में कांग्रेस समाप्ति की ओर अग्रसर हो रही है। नागोर में कांग्रेस के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में 8 में से 4 पर कांग्रेस की जीत हुई । जबकि भाजपा को सिर्फ 2 विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली। एक पर आरएलपी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल जीते तो दूसरी सीट पर निर्दलीय युनूस खान की जीत हुई। कांग्रेस के चार में से तीन विधायक रामनिवास गवाडिया, मुकेश भाकर और हरेन्द्र मिर्धा लोकसभा चुनाव में बेनीवाल के समर्थन में उत्साह नहीं दिखा रहे है। मकराना के विधायक जाकिर हुसैन जरूर बेनीवाल के साथ खड़े नजर आते है। जानकार सूत्रों के अनुसार नागौर के अधिकांश कांग्रेस नेता, हनुमान बेनीवाल के साथ गठबंधन के पक्ष में नहीं थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कारण नागौर की सीट आरएलपी को समझौते में दे दी गई। जानकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस अपने दम पर चुनाव लड़ती है तो नागौर में कांग्रेस की जीत की सभांवना थी, लेकिन बेनीवात को समर्थन देकर कांग्रेस ने आत्मघाती निर्णय लिया है। जिस तरह से कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल हो रहे है उससे कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर हो रही है। मजे की बात यह है कि कांग्रेस के समर्थन से चुनाव तड़ रहे बेनीवाल खुद ही कांग्रेस का मजाक उड़ा रहे है। बेनीवाल का कहना है कि वे लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस ने जबरदस्ती उन्हें उम्मीदवार बनवा दिया। बेनीवाल ने खुद आरोप लगाया है कि कांग्रेस के नेता भाजपा का प्रचार कर रहे है। चुनाव परिणाम कैसे भी आए, लेकिन नागौर मे संगठन की दृष्टि से कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा ।