श्री गणेशोपासना एवं उससे संबंधित महत्वपूर्ण सूत्र
1 min read
*लेख क्रमांक – 3
श्री गणेशोपासना एवं उससे संबंधित महत्वपूर्ण सूत्र
*१. श्री गणेशोपासना*
श्री गणेशजी की उपासना में नित्यपूजा, अभिषेक, संबंधित व्रत एवं उपवास, अथर्वशीर्ष पाठ, संबंधित विविध श्लोक एवं मंत्रोंका विशिष्ट संख्या में पाठ, नामजप जैसे विविध कृत्योंका अंतर्भाव होता है । कुछ लोग विशेषरूपसे श्री गणेश सहस्रनामका पाठ करते हुए, अर्थात श्री गणेशजीके १ सहस्र नामों में एक-एक का उच्चारण कर श्री गणेशजी को दूर्वा अर्थात दूब अर्पण करते हैं । इसे ‘दूर्वार्चन’ कहते हैं । सर्वसाधारणतः नित्य उपासना में श्री गणेशजी की मूर्तिका पूजन किया जाता है । इस में पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पू्जन किया जाता है । श्रीगणेशजी की उपासनासे संबंधित चतुर्थी की विशेष तिथिपर गणेशभक्त अथर्वशीर्षका पाठ करते हुए मूर्तिपर अभिषेक करते हैं । अथर्वशीर्ष में श्री गणेशजीके रूपका वर्णन किया गया है ।
*श्री गणेशजी का पूजन*
*श्री गणेशजी का प्रत्यक्ष पूजन ..*
१. श्री गणेशजी को अनामिका से चंदन लगाइए ।
२. श्री गणेशजी को लाल रंग के आठ फूल डंठल उन की ओर कर चढाइए ।
३. श्री गणेशजी को दूर्वा चढाइए ।
४. यथासंभव श्रीगणेशजी को लाल फूल एवं दुर्वासे बनी माला भी चढाइए ।
५. अब दो अगरबत्तियां जलाकर श्रीगणेशजी को दिखाइए ।
६. घडी की सूइयों की दिशा में पूर्ण गोलाकार पद्धतिसे, तीन बार आरती घुमाकर श्री गणेशजी को दीप दिखाइए ।
*७. श्री गणेशजी को गुड-सूखे नारियल का नैवेद्य अर्पण कीजिए ।*
पूजा के उपरांत श्रीगणेशजी की आठ परिक्रमाएं कीजिए । यह संभव न हो, तो अपने सर्व ओर गोल घूमकर तीन परिक्रमाएं कीजिए । श्रीगणेश चतुर्थीके उपलक्ष्य में श्रीगणेशपूजन करते समय अभी बताई गई बातों को अवश्य ध्यान रखिए ।
*पूजन में उपयोग में लाई जानेवाली विशेष सामग्री*
श्री गणेशपूजन में दूर्वा, शमी एवं मदार की पत्तियां, लाल एवं सिंदूरी रंग की वस्तुएं; जैसे र में क्तचंदन, लाल एवं सिंदूरी वस्त्र एवं फूल विशेष रूपसे उपयोग में लाए जाते हैं । श्री गणेशतत्त्वका अधिक लाभ होनेके लिए चंदन, केवडा, चमेली एवं खस, इन सुगंधों की अगरबत्तीका उपयोग लाभदायक है । अनिष्ट शक्तिके निवारण हेतु श्री गणेशजी की उपासना में हीना एवं दरबार इन सुगंधों की अगरबत्तीका उपयोग लाभदायक है । पूजाके उपरांत श्री गणेशजीके लिए मोदक एवं उनके वाहन मूषकके लिए खीरका नैवेद्य निवेदित करते हैं । लाल एवं सिंदूरी रंगके कारण प्रतिमा में गणेशतत्त्व अधिक मात्रा में आकृष्ट होता है । यह प्रतिमा को जागृत करने में सहायक होता है । जिस प्रकार लाल एवं सिंदूरी रंगका उपयोग देवतापू्जन में गणेशतत्त्व आकृष्ट करनेके लिए लाभदायक है, उसी प्रकार व्यक्तिके लिए भी गणेशतत्त्व प्राप्त करनेके लिए लाल एवं सिंदूरी रंगके वस्त्र परिधान करना उपयुक्त होता है ।
*५. साधनामंत्र*
१. श्री गणेशाय नमः । : इस में श्री अर्थात श्रीं तथा वह बीजमंत्र है । गणेशाय मूल बीज की संकल्पना है, जबकि नमः पल्लव है ।
२. ॐ गँ गणपतये नमः । : इसका अर्थ है – ॐ अर्थात प्रणव, गँ अर्थात मूल बीजमंत्र, गणपतये अर्थात आकृतिबंध को एवं नमः अर्थात नमस्कार करता हूं ।
( संदर्भ – सनातनका ग्रंथ – त्यौहार, धार्मिक उत्सव एवं व्रत )
आपकी विनम्र
श्रीमती प्राची जुवेकर
सनातन संस्था
संपर्क -7985753094