प्राइवेट स्कूल बढ़े, जेब कटी, शिक्षा गिरी: निजी स्कूलों की मनमानी से परेशान अभिभावक,शिक्षा विभाग बना लापरवाह
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प्राइवेट स्कूल बढ़े, जेब कटी, शिक्षा गिरी: निजी स्कूलों की मनमानी से परेशान अभिभावक,शिक्षा विभाग बना लापरवाह
AiN भारत न्यूज़ ब्यूरो रिपोर्ट प्रयागराज
बारा प्रयागराज।। सरकारें आती हैं, जाती हैं। शिक्षा नीति के दस्तावेज बनते हैं, बिगड़ते हैं। लेकिन इस देश की अलिखित शिक्षा नीति कभी नहीं बदली। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ के नाम पर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने के मुखौटे के भीतर शिक्षा नीति का सच है। ‘सरकारी से ही प्राइवेट की ओर’, ‘मिशन से धन्धे की ओर’ तथा ‘पढ़ाई से पैसे की ओर’। ज्यों-ज्यों देश आगे बढ़ रहा है, त्यों-त्यों सरकार शिक्षा की बुनियादी जिम्मेदारी से अपना हाथ खींच रही है। ज्यों-ज्यों ग्रामीण और गरीब मां-बाप को शिक्षा का महत्व समझ आ रहा है, त्यों-त्यों शिक्षा के अवसर उनकी पहुंच से दूर जा रहे हैं। विडम्बना यह है। कि मां-बाप अपना पेट काटकर बच्चों को जिस प्राइवेट अंग्रेजी मीडियम स्कूल में भेजने की होड़ में लगे हैं, वहां बच्चे को न शिक्षा मिलती है। और न ही अंग्रेजी।बारा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी प्राइवेट विद्यार्थियों का है। जहां पर प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक रहा इस बीच सरकारी एवं प्राइवेट विद्यालय लगभग दो से चार दिन खुले रहे। महाकुंभ से पहले सीत लहर के अवकाश में पंद्रह दिन के लिए विद्यालय पूरी तरह बंद रहा है। इन सब की वजह से पढ़ाई पर बहुत प्रभाव पड़ा साथ ही साथ अभिभावक को जेब भी भारी करनी पड़ी है। बारा क्षेत्र के प्राइवेट विद्यालयों में जहां पर फीस के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट का किराया भी जोड़कर ले लिया जाता है। या यूं कहें कि ले रहें हैं। अभिभावकों का कहना है। कि विधालय दो महीने बंद रहें हैं। तब मास्टर एवं प्रिंसिपल का कहना हैं। कि इसमें हम कुछ नहीं कर सकते हैं।