नेपाल में 5.0 तीव्रता का भूकंप, उत्तर भारत तक महसूस हुए झटके
1 min read
नेपाल में 5.0 तीव्रता का भूकंप, उत्तर भारत तक महसूस हुए झटके
हिमालयी क्षेत्र एक बार फिर धरती की थरथराहट का गवाह बना। आज करीब 7:52 बजे नेपाल में 5.0 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जिसकी कंपन न केवल नेपाल के तराई और पहाड़ी इलाकों में महसूस हुई, बल्कि इसकी गूंज उत्तर भारत के कई शहरों तक पहुँची। दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ, पटना, देहरादून सहित अनेक शहरों में लोगों ने झटकों को महसूस किया और कुछ जगहों पर घबराकर लोग घरों और कार्यालयों से बाहर निकल आए।
भूकंप का केंद्र नेपाल के मध्य क्षेत्र में 20 किलोमीटर की गहराई में था। भूकंप विज्ञानियों के अनुसार यह तीव्रता मध्यम श्रेणी में आती है, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में इसका प्रभाव अधिक महसूस किया जाता है।
*किस-किस क्षेत्र में महसूस हुए झटके?*
नेपाल: काठमांडू, पोखरा, बिराटनगर सहित कई जिलों में तेज झटके महसूस किए गए।
*भारत:* दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश के *गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, लखनऊ, बरेली, वाराणसी, उत्तराखंड का देहरादून, हरिद्वार, बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर और दरभंगा* तक इसका असर रहा।
*कोई हानि नहीं, लेकिन दहशत जरूर*
भूकंप के झटकों से लोगों में दहशत का माहौल रहा, विशेष रूप से ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग तुरंत बाहर निकल आए। फिलहाल, किसी प्रकार की जनहानि या संपत्ति के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। प्रशासन सतर्क है और प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी गई है।
*पहाड़ों की सतत चेतावनी*
हिमालयी क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान से लेकर म्यांमार तक फैला यह बेल्ट ‘सीस्मिक जोन-4’ और ‘सीस्मिक जोन-5’ में आता है, जहां भूकंप की संभावना बनी रहती है। वर्ष 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप की यादें आज भी ताजा हैं, जिसने 9,000 से अधिक लोगों की जान ली थी।
*लोगों से अपील*
• आपदा प्रबंधन विभाग और मौसम विज्ञान केंद्र ने लोगों से संयम और सतर्कता बनाए रखने की अपील की है। आपात स्थिति में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
• भूकंप के दौरान इमारत से बाहर जाने की जल्दी न करें, बल्कि मजबूत स्थान की शरण लें।
• लिफ्ट का प्रयोग न करें, सीढ़ियों का उपयोग करें।
• मोबाइल, रेडियो या टीवी के माध्यम से सूचना प्राप्त करते रहें।
• अफवाहों से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
• संवेदनशील क्षेत्रों में बार-बार आ रहे भूकंप यह संकेत दे रहे हैं कि हमें न केवल जागरूक रहना होगा, बल्कि तैयारी को भी प्राथमिकता देनी होगी। प्रकृति की चेतावनी को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
