तीसरी आंख।
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तीसरी आंख।
झाड़ू की जय हो, झड़ूआईन की जय हो।
लवेदियों ने झाड़ू को बना दिया देवता!
मिर्जापुर। पांच दिवसीय त्योहार का पहला दिन धनतेरस ‘दम-दमदमा..’ स्टाइल में दिखा। यूं तो धनतेरस की छटा मीठा-तीता, लाई-लावा, दीया-दोना आदि के सभी अड्डों पर रहा लेकिन सर्वाधिक धूम अगर कहीं रही तो वह झाड़ू-बहारु की दुकानों पर।
मैन आफ दी मैच झाड़ू जी
सोशल-साइट पर अनसोशल तत्वों की बहार के चलते इधर कई सालों से झाड़ूदेवी सुपर-डुपर हीट कर रही है। धनतेरस पर झाडू खरीदने से लक्ष्मी जी झाड़ूबाज के घर दौड़ी चली आएगी, ऐसा हल्ला मचा दिया गया है। लक्ष्मी की इस बहती झाड़ू-नदी में कौन हाथ नहीं धोना चाहेगा लिहाज़ा झाड़ू की लूट मची थी। 50 से 500/-तक झाड़ू की कीमत देखी गई।
नए-नए ये ज्ञानी हैं या किसी ग्रह से आए एलियन्स ?
खूब चन्दन-टीका लागाकर, गले में महंगी कंठी-माला पहनकर, बाल डाई कराकर और जो फिल्मों में खलनायक/खलनायिका का रोल पाकर भाग खड़े हुए/हुईं, वे सोशल साइट पर ‘नया वेद’ जिसे ठेठ भाषा में *’लवेद’* भी कहा जाता है, पर बैठकर बोलते हैं कि झाड़ू में लक्ष्मी जी रहती हैं। झाड़ू खरीदते वे अम्बानी-अडानी बना देंगी। इस *लवेद* के बाजार में इसलिए जबरदस्त प्रभाव है क्योंकि झाड़ू निर्माताओं ने इन लवेदियों को परचेज कर लिया है। प्रत्येक झाड़ू पर मेडिकल डॉक्टरों की तरह कमीशन बांध दिया है।
झाड़ू से खुद को पीटते छत पर सिक्का बरसेगा!
आने वाले दिनों में उक्त आकाशवाणी ये लवेदी श्रीमान् 420 बोल देंगे कि ऐसा करते रिजर्व बैंक का पूरा का पूरा रुपैया बैंक गवर्नर से बगावत कर झाड़ू-पीट महोदय के पास आ जाएगा तब खुद को झाड़ू पीटते का भी वीडियो वायरल-फीवर की तरह नहीं डेंगू-फीवर की तरह संक्रामक होने लगेगा। लोग हल्ला बोलकर खुद को पीटेंगे। इस पीट अभियान के लिए माननीयगण, बड़े-बड़े तीसमारखाँ, मंत्री-संतरी आदि भी मिल जाएंगें ।
बहरहाल झाड़ू के चलते आज तीसरी आँख जो मिठाइयों पर धंसी थी, उस का वृत्तांत नरक चतुर्दशी के दिन पेश होगा।
तब तक एक बार फिर “झाड़ू की जय हो, झड़ूआइन की जय हो” के साथ- तीसरी आंख खोलने के कारण चुंभे कांटों को निकालने में व्यस्त- सलिल पांडेय, मिर्जापुर।