आधुनिक भारत के शिल्पकार, महान स्वतंत्रता सेनानी ‘भारत रत्न’ से सम्मानित ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि!
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आधुनिक भारत के शिल्पकार, महान स्वतंत्रता सेनानी ‘भारत रत्न’ से सम्मानित ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि!
वल्लभभाई पटेल एक कृषक परिवार से थे, जिसमे चार बेटे थे. एक साधारण मनुष्य की तरह इनके जीवन के भी कुछ लक्ष्य थे. यह पढ़ना चाहते थे, कुछ कमाना चाहते थे और उस कमाई का कुछ हिस्सा जमा करके इंग्लैंड जाकर अपनी पढाई पूरी करना चाहते थे. इन सबमे इन्हें कई परिशानियों का सामना करना पड़ा. पैसे की कमी, घर की जिम्मेदारी इन सभी के बीच वे धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे. शुरुवाती दिनों में इन्हें घर के लोग नाकारा समझते थे. उन्हें लगता था ये कुछ नहीं कर सकते. इन्होने 22 वर्ष की उम्र में मेट्रिक की पढाई पूरी की और कई सालों तक घरवालो से दूर रहकर अपनी वकालत की पढाई की, जिसके लिए उन्हें उधार किताबे लेनी पड़ती थी. इस दौरान इन्होने नौकरी भी की और परिवार का पालन भी किया. एक साधारण मनुष्य की तरह ही यह जिन्दगी से लड़ते- लड़ते आगे बढ़ते रहे, इस बात से बेखबर कि ये देश के लोह पुरुष कहलाने वाले हैं.
सरदार बल्लभ भाई पटेल के जीवन की एक विशेष घटना से इनके कर्तव्यनिष्ठा का अनुमान लगाया जा सकता है, यह घटना जबकि थी जब इनकी पत्नी बम्बई के हॉस्पिटल में एडमिट थी. कैंसर से पीढित इनकी पत्नी का देहांत हो गया, जिसके बाद इन्होने दुसरे विवाह के लिए इनकार कर दिया और अपने बच्चो को सुखद भविष्य देने हेतु मेहनत में लग गए.
इंग्लॅण्ड जाकर इन्होने 36 महीने की पढाई को 30 महीने में पूरा किया, उस वक्त इन्होने कॉलेज में टॉप किया. इसके बाद वापस स्वदेश लोट कर अहमदाबाद में एक सफल और प्रसिद्ध बेरिस्टर के रूप कार्य करने लगे. इंग्लैंड से वापस आये थे, इसलिए उनकी चाल ढाल बदल चुकी थी. वे सूट बूट यूरोपियन स्टाइल में कपड़े पहनने लगे थे. इनका सपना था ये बहुत पैसे कमाये और अपने बच्चो को एक अच्छा भविष्य दे. लेकिन नियति ने इनका भविष्य तय कर रखा था. गाँधी जी के विचारों से प्रेरित होकर इन्होने सामाजिक बुराई के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. भाषण के जरिये लोगो को एकत्र किया. इस प्रकार रूचि ना होते हुए भी धीरे-धीरे सक्रीय राजनीती का हिस्सा बन गए।।।