कमायचा की झंकार पर देश-विदेश के लोग भी नाचने लग जाते हैं:- कच्छवाहा
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कमायचा की झंकार पर देश-विदेश के लोग भी नाचने लग जाते हैं:- कच्छवाहा
राजस्थान स्टेट ब्यूरो अशरफ मारोठी
अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार हाकिम खान का श्योर संस्था में किया सम्मान
बाड़मेर। कमायचा की झनकार से नाचने को विवश हो जाते है देश विदेश के लोग, हाकिम खान थार रेगिस्तान कमायचा के सबसे पुराने कलाकार और शहंशाह के नाम से ख्यातनाम है ये बात आज डॉं. लता कच्छवाह संयुक्त सचिव सोसायटी टू अपलिफ्ट रूरल इकोनोमी (श्योर) बाड़मेर ने कला पुरोधा आजादी पुरस्कार से सम्मानित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोक कलाकार हाकिम खां निवासी हड़वा, शिव जिला बाड़मेर को कला पुरोधा आजादी अमृत महोत्सव के तहत ‘‘कला पुरोधा ’’ से सम्मानित करने की घोषणा करने के फलस्वरूप श्योर कार्यालय में उनका शॉल एवं माल्यापर्ण करने के पश्चात उन्होने कहा कि जब इनके कमायचा से आवाज निकलती है तो पूरे वातावरण में मिश्री की मिठास एवं वातावरण सौम्य शांत बन जाता है। हाकिम खां ने अपने इस मुकाम तक पहुॅंचने का श्रेय स्वर्गीय पद्मश्री मगराज जी जैन साहब को दिया और कहा कि श्री जैन जब नेहरू युवा केन्द्र बाड़मेर में युवा समन्वयक थे, तब से इनको लोक कला से जोड़े रखा, पदमश्री मगराज जैन को याद करते हुए हाकिम खां पूर्णत भावूक हो गये, संस्था कोषाध्यक्ष नरेंद्र कुमार तनसुखानी ने कहा कि हाकिम खां ने लोक कला के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई, उन्होंने बताया कि हाकिम खान ने 54 से अधिक देशों की यात्रा कर राजस्थान का परचम फैलाया रेत के टीबों की कला के माध्यम से हाकिम खां ने जिले के साथ देश का नाम भी विदेशों में रोशन कर दिया
इस अवसर पर संस्था के गणेश केला ने बताया कि कमायचा की धुन पर गाया भजन `मैं तो अमली हरी नाम री’ सर्वाधिक एवं लोकप्रिय प्रभाती भजन है। स्वागत अवसर पर संस्था के शशिकुमार नायर, गणेश दास केला, जरीना सियोल अब्दुल अजीज आदि कार्यकर्ता ने हाकिम खान का माला पहनाकर स्वागत किया।