भरत चरित्र का वर्णन सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु।
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भरत चरित्र का वर्णन सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु।
डुमरियागंज क्षेत्र के परसपुर स्थित संकटमोचन हनुमान मंदिर पर आयोजित श्रीरामकथा के पहला दिन मौजूद रहे दर्शकों की भीड़
सिद्धार्थनगर ब्यूरो सूरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट
सिद्धार्थनगर जिले के डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के परसपुर स्थित संकटमोचन हनुमान मंदिर पर आयोजित श्रीराम कथा के पहले दिन कथावाचक स्वामी आलोकानंद ने भरत चरित्र का वर्णन किया जिसे सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो गये और जयकारे लगाने लगे कथावाचक आलोकानंद ने कहा कि वर्तमान में भाई- भाई आपस में लड़ रहे हैं। संपत्ति के लिए एक भाई दूसरे पर जानलेवा हमले कर रहा है। लेकिन भगवान राम ने छोटे भाई भरत के लिए राज त्यागा और वन गमन किया। उन्होंने कहा कि भाइयों को संपत्ति और धन से ज्यादा भाई को प्रेम करना चाहिए अगर भाइयों में प्रेम होगा तो परिवार तरक्की के रास्ते पर चलता रहेगा। वहीं भरत ने बड़े भाई द्वारा राज्य दिए जाने के बाद भी उनकी पादुकाओं को सिंहासन पर रख कर कठिन तप किया था। जबकि आज के भाई राज्य पाने के बाद भाई को ही भूल जाएंगे जबकि भरत ने अयोध्या का राजा भगवान श्रीराम को माना व स्वयं को उनका दास बताया। कथावाचक ने कहा कि राम लक्ष्मण भरत शत्रु जैसे भाई से हमे सभी गुण सीखना चाहिए और जिस तरह भरत ने अपने चरित्र आचरण और सादगी के साथ राज्य चलाया और प्रजा को सब कुछ दिया उससे हमे सीख लेने की जरूरत है इस दौरान यज्ञाचार्य सतीश मिश्रा, पंडित संदीप शास्त्री, मुख्य यजमान अष्टभुजा शुक्ला, आयोजन कमेटी के प्रबंधक राम अभिलाष शुक्ला, राजेश पाण्डेय, डुमरियागंज के प्रधान संघ अध्यक्ष दिलीप पाण्डेय उर्फ छोटे, अमरनाथ पाण्डेय, राधेश्याम, रमेश शुक्ला, रिपुसूदन, भोला पाण्डेय, अजय यादव, दयाशंकर, विजय पाल, विक्की पाल, राकेश पाल, दयाराम, अशोक, प्रदीप, लवकुश, बिफई, रामजी, मुन्नी लाल यादव आदि मौजूद रहे।