विद्या के मंदिर बने व्यावसायिक प्रतिष्ठान,अभिभावकों के साथ छलावा
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विद्या के मंदिर बने व्यावसायिक प्रतिष्ठान,अभिभावकों के साथ छलावा
संजीत कुमार की खास रिपोर्ट लालापुर प्रयागराज
लालापुर- प्रयागराज।आज ज्ञान के मन्दिर कहे जाने वाले विद्यालयों में कितना बच्चों के अभिभावकों को गुमराह करके शोषण किया जा रहा है, उनके मानसिकता को आयु के दृष्टिकोण से कमजोर किया जा रहा है, इस पर भी हमारे समाज के अभिभावकों को जागरूक होने की बहुत ही आवश्यक है। इस शैक्षिक वृद्धि शोषण में परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को आगे आना पड़ेगा।
शिक्षा के अधिकार के तहत लगभग छह वर्षों के बच्चों की बुद्धि लब्धि कक्षा एक के लिए पूरी तरह से तैयार होती है, लेकिन अधिक आयु के बच्चों को कान्वेंट जैसे स्कूलों में अभिभावकों को गुमराह करके उसको निचले कक्षा में प्रवेश करा दिया जाता है। जबकि उसका बौद्धिक स्तर पूर्ण रूप से आगे की कक्षाओं में पढ़ने के लिए तैयार है।आज कान्वेंट जैसे स्कूलों में लगभग आठ नौ वर्ष के बच्चों को कक्षा एक में नामांकन कराया जाता है। मातृ-भाषा का महत्व बहुत कम दिया जाता है। जिससे उसकी बौद्धिक क्षमता में सोचने की बहुतायत कमी आ रही है।और यही बच्चे हाईस्कूल पहुंचते ही गुमराह होकर गलत रास्ते पर चलने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
बेसिक शिक्षकों का इस समय कर्तब्य यही बनता है कि इन ब्यापारिक विद्यालयों के शोषण से अभिभावकों को जागरूक करके बेसिक स्कूलों की विशेषताओं से समाज को बताने और अनवरत उन्नयन पर गांव-गांव में जाकर प्रचार प्रसार करने की जरूरत है।
चूंकि शिक्षक समाज का निर्माता एवं राष्ट्र का सजग प्रहरी होता है।