प्राचीन भारतीय परंपराओं के नैतिक मूल्य विषय पर आयोजित कार्यशाला से संबंधित दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के छात्रों ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन को किया प्रस्तुत
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प्राचीन भारतीय परंपराओं के नैतिक मूल्य विषय पर आयोजित कार्यशाला से संबंधित दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के छात्रों ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन को किया प्रस्तुत
AINभारतNEWS से राजस्थान स्टेट प्रभारी अशरफ़ मारोठी की रिपोर्ट
दिल्ली/
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित पाठ्यक्रम वी. ए.सी. अंतर्गत पेपर पर प्राचीन भारतीय परंपराओं के नैतिक मूल्य पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में विषय से संबंधित दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के छात्रों ने अपने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किए। इस प्रस्तुतीकरण में वेद, पुराण, धर्म, पुरुषार्थ, संस्कृति, भारतीय ज्ञान परंपरा, भारत, संस्कार आदि विषयों पर गहन चर्चा हुई। इस चर्चा में मानव मूल्य, नैतिक परंपराओं, भारत और इंडिया के शब्दों पर संवाद, पुरुषार्थ चतुष्ट्य पर विचार विमर्श, वेदों, आधुनिक युग में भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता, दंड संहिता, बौद्ध और जैन परंपरा, नैतिक पत्रकारिता, भारत, जम्बूद्वीप, सोलह संस्कार, भारत और इंडिया डिबेट, गार्गी और मैत्री का वर्णन,भगवद्गीता, रामायण, पत्रकारिता के सन्दर्भ में नैतिक सिद्धांत, राष्ट्र-निर्माण और किंगशिप जैसे विषयों पर छात्रों ने अपने विभिन्न विषय पर संचार और संवाद किया गया,
दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के प्रथम सेमेस्टर के विभिन्न विद्यार्थियों में ऋतिका, विनीत, हर्षवर्धन, सृष्टि, नंदिनी, श्रेयसी, स्वेतालिमा, प्राची, समीर, शैलेश, आशीष, पुष्कर, शुभांश, विवेक, अंकन, आर्यन, कृष, आयुष, विकास, हिमांशु, राज लुम्बिनी, सिमोना और अस्तुति आदि ने भाग लिया। इस वर्कशॉप का आयोजन माननीय जे.पी. दूबे, विभागाध्यक्ष, मानद निदेशक और कार्यक्रम के समन्वयक श्री मिथिलेश कुमार पाण्डेय, कोर्स शिक्षक (प्राचीन भारतीय परंपरा में नैतिक मूल्य )ने किया।दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के वरिष्ठ प्रवक्ता इतिहासकार डॉ. नंद कुमार, एमए.प्रथम सेमेस्टर अध्यापक सिनेमा अध्ययन डॉ. प्रवीण झा ने वर्कशॉप की समीक्षा की। अंत में डॉ. नेहा नेमा, अध्यापिका ने कहा जीवन में भारतीय ज्ञान परम्परा के नैतिक बिना मूल्य धर्म उच्च शिक्षा में सबको जीवन में उतारने की जरूरत हैं महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण और कर्ण का ये संवाद आपकी जिंदगी बदल देगा, जरूर पढ़िए
कर्मज्ञान है तो ज़िन्दगी हर पल मौज है, वरना समस्या तो सभी के साथ रोज है। महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण और कर्ण के बीच हुए संवाद से जिंदगी का नजरिया, बदल जायेगा , किसी का भी जीवन चुनौतियों से रहित नहीं है। सबके जीवन में सब कुछ ठीक नहीं होता। सत्य क्या है और उचित क्या है? ये हम अपनी आत्मा की आवाज से स्वयं निर्धारित करते हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी बार हमारे साथ अन्याय होता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी बार हमारा अपमान होता है। इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी बार हमारे अधिकारों का हनन होता है। फ़र्क़ तो सिर्फ इस बात से पड़ता है कि हम उन सबका सामना किस प्रकार कर्मज्ञान के साथ करते हैं।
लेखिका डॉक्टर. नेहा नेमा दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म
