56 इंच व्यास का 450 किलो वजनी नागाड़ा रवाना
1 min read
56 इंच व्यास का 450 किलो वजनी नागाड़ा रवाना
वाराणसी। अयोध्या में होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की जीवंतता व संबंधों की नवीनता में आमजन माध्यम बन रहा है। उसी कड़ी में काशी की प्रेरणा से तैयार एक विशालकाय नगाड़ा रामलला को समर्पित करने की तैयारी है। यह अगले हफ्ते अयोध्या पहुंच जाएगा। इस नगाड़े के निर्माण के लिए काशी में बसे गुजरात के दबगर समाज के लोगों ने पहल की है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा और उसके बाद प्रभु राम की आरती के दौरान उस नगाड़े की आवाज पूरे मंदिर परिसर में गूंजेगी।
भरुच में किया गया तैयार
गुजरात के भरुच में बने नगाड़े की ऊंचाई व व्यास 56-56 इंच है। इसका वजन 450 किलोग्राम है। ऑल इंडिया दबगर समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद छतरीवाला ने बताया कि लोहे की एक इंच मोटी चादर से नगाड़े का ढांचा तैयार किया गया। फिर उसपर तांबे की परत और सोने-चांदी का पानी चढ़ाकर नक्काशी कराई गई। इसमें कुल सात लाख रुपये का खर्च आया।
ले जाने को रथ भी
नगाड़े के लिए एक रथ भी तैयार बना है ताकि उसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सके। शुक्रवार और शनिवार को इस नगाड़े को पूरे अहमदाबाद में जनता के दर्शनार्थ घुमाया गया। रविवार को उसे अयोध्या रवाना किया जाएगा। अगले तीन दिनों में वह अयोध्या पहुंच जाएगा।
बीएचयू में जन्मा भाव, फिर बनी योजना
बीएचयू में कार्यरत दबगर समाज के विनोद कुमार ने बताया कि बनारस के कुछ सदस्यों ने राममंदिर में तरफ से परंपरागत कला अर्पित करने का सुझाव दिया। ऑल इंडिया दबगर समाज ने तब योजना तैयार की। काशी में रहने वाले सोनभद्र के सीएमओ डॉ. अश्विनी कुमार ने 5100 रुपये का पहला सहयोग दिया। उनके बाद काशी में समाज के लगभग चार हजार सदस्यों ने क्षमतानुसार धन अर्पित किया।
कौन हैं दबगर?
दबगर समाज का मूल व्यवसाय चमड़े के वाद्ययंत्र तैयार करना है। मूल रूप से राजस्थान और गुजरात निवासी इस समाज के लोग उत्तर भारत के सभी राज्यों में विभिन्न व्यवसायों और प्रशासनिक पदों से जुड़े हैं। वैदिक काल से इस समाज के लोगों का उल्लेख मिलता है। गुजरात में इन्हें पंचवणिक या दबघर भी कहा जाता है। मंदिरों में पूजन के वाद्ययंत्रों के साथ प्राचीन काल में रजवाड़ों के लिए चमड़े की ढाल, कवच आदि के निर्माण का भी इस समाज का इतिहास रहा है।
नेपाल से भी आया दान
ऑल इंडिया दबगर समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनोद छतरीवाला ने बताया कि इस कार्य में नेपाल से भी सहयोग मिला। 8 अक्तूबर-2023 को समाज की बैठक अयोध्या में हुई थी। उसमें हुए आह्वान पर यूपी, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल और दिल्ली के अलावा नेपाल के लोगों ने भी दिल खोलकर दान किया। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और सौराष्ट्र से भी बड़ी धनराशि प्राप्त हुई। गुजरात में समाज के लोगों की आबादी 3.5 लाख से ज्यादा है।
सवा महीने तक जलने वाली अगरबत्ती भी पहुंच रही
गुजरात से दबगर समाज के साथ ही दूसरे समाज की तरफ से भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए काफी सामग्री भेजी जा रही है। दबगर समाज नगाड़े के अलावा 61 किलो का घंटा भी भेज रहा है। गुजरात के एक मंदिर ने प्रभु के भोग के लिए कांसे के बर्तन, अनाज भेजे हैं। इनके अलावा 108 फीट लंबी अगरबत्ती भी तैयार की गई है। दावा है कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन जलने वाली यह अगरबत्ती सवा महीने तक निरंतर सुगंध बिखेरती रहेगी।
