प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने गिराए थे मकान, सुप्रीम कोर्ट ने दिए 10-10 लाख मुआवजे का
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प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने गिराए थे मकान, सुप्रीम कोर्ट ने दिए 10-10 लाख मुआवजे का
AiN भारत न्यूज़ संवाददाता विनीत द्विवेदी की ख़ास रिपोर्ट शंकरगढ़ प्रयागराज
चार साल पहले प्रयागराज के लुकरगंज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के प्रोफेसर रहे एवं उर्दू के जाने माने साहित्यकार प्रो. अली अहमद फातमी उनकी बेटी सहित अन्य चार लोगों के मकान तोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है। इस मामले में अब यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि लूकरगंज में जिस जमीन पर इन पांच लोगों के मकान बने थे उसका आखिर क्या होगा ? सुप्रीम कोर्ट ने समुचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर घरों को बुलडोजर से गिराने को असंवैधानिक और अमानवीय बताया है। प्रो. फातमी का जो मकान तोड़ा गया मकान 160 वर्ग गज में बना था। यह नजूल की भूमि थी, उनकी बेटी का मकान भी नजूल की भूमि पर बना था। प्रो. फातमी के मकान में छह और बेटी के मकान में तीन कमरे बने रे बने थे। कार्रवाई से पूर्व प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने जब नोटिस भेजा तो इस नजूल भूमि का पट्टा 1999 में समाप्त होने की बात सामने आई थी। प्रोफेसर फातमी एवं अन्य का मकान तोड़ने के पीछे नजूल भूमि का पट्टा समाप्त होना भी एक कारण माना गया था।हालांकि प्रोफेसर फातमी ने पट्टा नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था। कहा जा रहा है कि इसकी रसीद भी इन लोगों के पास है। कार्रवाई के बाद प्रशासन ने इस जमीन पर ईवीएम रखने के लिए स्टोर बनाने की बात कही थी। संभवतः ध्वस्तीकरण का मामला कोर्ट में होने के बाद इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका। वहरहाल, अब यही सवाल ल प्रमुखता प्रमुखता से उठाया जा रहा है कि जमीन का आखिर क्या होगा। पीडीए के अफसर भी इस मामले में कुछ बोलने से बच रहे हैं। ऑफ दी रिकॉर्ड अफसरों का कहना है कि न्यायालय का पूरा आदेश आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।–सुप्रीम कोर्ट ने गलत को गलत कहा, हम खताकार नहीं–सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद प्रोफेसर अली अहमद फातमी ने राहत महसूस की है। प्रोफेसर फातमी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने गलत को गलत और अमानवीय कहा, चार साल बाद न्याय मिला, हमारा दर्द समझा, यही हमारे लिए राहत की बड़ी बात है। प्रो. फातमी ने कहा कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को चार साल हो चुके हैं, पर आज भी जब मैं उन दिनों को याद करता हूं तो कलेजा कांप जाता है।इस घटना ने उन्हें जो क्षति पहुंचाई है, उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती है। मकान टूटने के सदमे में कुछ महीने बाद ही पत्नी का निधन हुआ फिर उन्हें हार्ट अटैक हुआ। सेवानिवृत्ति के बाद इविवि से जो फंड मिला था, उससे करेली में एक छोटा का फ्लैट लिया था। फ्लैट छोटी बेटी को देने के लिए लिया, लेकिन परिस्थितियां बदलीं तो मैं बेटी के साथ खुद इस फ्लैट में रहने लगा। कहा, कोर्ट का आदेश आने का इंतजार है।
