वाराणसी/दिनांक 16 अक्टूबर, 2022 (सू0वि0)
1 min read
                वाराणसी/दिनांक 16 अक्टूबर, 2022 (सू0वि0)
जीआई उत्पादों के महोत्सव का आयोजन करने वाला वाराणसी देश का पहला जिला बना
6 दिवसीय ‘जीआई महोत्सव बड़ालालपुर के दीनदयाल हस्तकला संकुल में शुरू
*प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के परम्परागत संस्कृति को तेजी के साथ संरक्षण प्रदान किया जा रहा है-केंद्रीय मंत्री*
नई सरकार के कार्यकाल में जीआई उत्पादों के पंजीकरण में तेजी आई है-अर्जुन राम मेघवाल
बनारसियों के डी०एन०ए० में हुनर है-रविन्द्र जायसवाल
न सिल्क यहां होता है और न ही पान लेकिन बनारसियों के हस्त कौशल के कारण बनारस की साड़ी एवं बनारस का पान दोनों ही विश्व विख्यात है-स्टाम्प मंत्री
जीआई महोत्सव युवाओं को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सी जानकारियां देगा-कमिश्नर, कौशल राज शर्मा
वाराणसी। वाराणसी के बड़ालालपुर स्थित
दीनदयाल हस्तकला संकुल में रविवार को 16 से 21 अक्टूबर 6 दिवसीय ‘जीआई महोत्सव’ का शुरुआत हुआ। जिसका समापन 21 अक्टूबर को होगा। जिसमें देश भर से आए जीआई उत्पादों के कारोबारी और अन्य विशेषज्ञ मौजूद रहे। महोत्सव में करीब सौ जीआई उत्पादों के स्टाल लगाए गए हैं। इस महत्वपूर्ण आयोजन उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के निर्देश पर किया गया है। जिसमें उत्तर भारत के 11 प्रदेशों के जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी आयोजित किया गया हैं।
जीआई महोत्सव का केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने फीता काटकर शुभारंभ किया, तो इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल और जीआई विशेषज्ञ पद्म रजनीकांत भी मौजूद रहे। इस दौरान जीआई विशेषज्ञों की मौजूदगी में पूरे आयोजन की रूपरेखा को पेश किया गया। वहीं आयोजन में देश भर के जीआई उत्पादों को लेकर स्टाल लगाने वाले विशेषज्ञ भी मौजूद रहे। शुभारंभ के साथ ही वाराणसी देश के पहले जीआई उत्पादों के महोत्सव का आयोजन करने वाला पहला जिला बन गया है। वाराणसी और आसपास पूर्वांचल के जिले मीरजापुर, भदोही, आजमगढ़, चंदौली, गाजीपुर आदि में भी कई जीआई उत्पाद ऐसे शामिल हैं जो पूरे विश्व भर में पूर्वांचल की पहचान के तौर पर जाने जाते हैं। आयोजन के दौरान कई प्रमुख स्टाल जीआई उत्पादों के दूसरे प्रदेशों के भी लगाए गए हैं, जिन पर कोई भी उपभोक्ता जाकर अपनी जरूरत के अनुरूप उत्पादों की खरीद भी कर सकता है।
देश के पहले जीआई उत्पादों की प्रदर्शनी और महोत्सव में अगले छह दिनों तक रौनक रहेगी और दीपावली के पूर्व जीआई उत्पादों के कारोबारी खुद को आर्थिक रूप से समृद्ध कर सकते हैं। इन सभी स्टालों पर उत्पादों की जानकारी के साथ ही उत्पादों की विशेषता भी लोगों को बताई जा रही है।
मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने जीआई महोत्सव में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व
में देश के परम्परागत संस्कृति को तेजी के साथ संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। नई सरकार के कार्यकाल में जीआई उत्पादों के पंजीकरण में तेजी आई है। जीआई उत्पाद एवं क्राफ्ट भारत की आत्मा है। जीआई आने से पूर्व में ही हमारा देश अपने अलग-अलग क्षेत्रीय उत्पादों के लिए विश्व विख्यात रहा है, ज्यादा से ज्यादा भौगोलिक
उत्पादों को पंजीकृत कर उन्हें संरक्षित किये जाने की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश के स्टांप एवं न्यायालय पंजीयन शुल्क राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बनारसियों के डी०एन०ए० में हुनर है। न सिल्क यहां होता है और न ही पान लेकिन बनारसियों के हस्त कौशल के कारण बनारस की साड़ी एवं बनारस का पान दोनों ही विश्व विख्यात है। भारत देश अपने भिन्न-भिन्न भाषा एवं संस्कृति की तरह भिन्न-भिन्न उत्पादों के लिए हजारों वर्षों से प्रसिद्ध रहा है यही क्षेत्रीय उत्पाद अब जीआई उत्पाद के रूप में पंजीकृत हो रहे हैं। छः दिवसीय जीआई महोत्सव का उद्घाटन भाषण के दौरान कमिश्नर कौशल राज शर्मा द्वारा अवगत कराया गया कि यह आयोजन युवाओं को तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सी जानकारियां देगा। हथकरघा, पॉलिटेक्निक, आई०आई०टी०, हैण्डीक्राफ्ट, कृषि अन्य सम्बन्धित विभागों के विद्यार्थियों को इस महोत्सव में एक्सपोजर विजिट कराया जायेगा। इसके अलावा विभिन्न उत्पादों के कारीगरों को भी इस महोत्सव में लाया जायेगा। उन्होंने वाराणसी तथा आस-पास के जिले के लोगों से अपील की कि वे सभी ज्यादा से ज्यादा से संख्या में इस महोत्सव को देखने को आये एवं जिले, प्रदेश एवं देश में बनने वाले विशिष्ट उत्पादों के बारे जाने एवं लाभ उठायें। सचिन धानिया उप सचिव उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा बताया कि जीआई के द्वारा क्षेत्र विशेष को परम्परागत उत्पादों एवं क्राफ्ट को संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। पद्मश्री रजनीकांत द्वारा अपने सम्बोधन में अवगत कराया गया कि 370 जीआई उत्पादों का पंजीकरण किया जा चुका है तथा बनारस की ठंडई को जीआई के एक हजारवें उत्पाद के रूप में पंजीकरण किया जा रहा है।
प्रदर्शनी में 11 प्रदेशों के जीआई उत्पादों के 100 स्टाल लगाये गये है, जिनमें प्रमुख उत्तर प्रदेश के निजामाबाद ब्लैक पॉटरी, खुर्जा पॉटरी, बनारस मेटल रिपोजी क्राफ्ट, वाराणसी ग्लास बीड्स, चुनार रेड क्ले ग्लेज़ पॉटरी, महोबा देसावरी पान, प्रतापगढ़ आंवला, काला नमक चावल, इलाहाबाद सुखा अमरूद, लखनऊ चकन शल्प, बनारस जरदोजी, भदोही हस्तनिर्मत कालीन, आगरा दरी, फर्रुखाबाद प्रंट, मुरादाबाद धातु शल्प, मर्जापुर के हस्तनि र्मत दरी, आगरा चमड़ा (जूते), बनारस गुलाबी मीनाकारी शल्प, बनारस मेटल रिपोज क्राफ्ट, बिहार से मंजूषा कला, भोजपुर उदवंतनगर खुर्मा, पथरकाटी स्टोन क्राफ्ट, मधुबनी पेंटिंग, फैब्रिक पर मधुबनी पेंटिंग, नालंदा बावन बूटी साड़ी, मगही पान, एप्लिक (खटवा) वर्क मध्य प्रदेश से इंदौर लेदर टॉयज, चंदेरी वस्त्र एवं साड़ी, बाघ प्रंट, महेश्वर साड़ी एवं वस्त्र, उज्जैन बाटिक प्रिन्ट, दतिया एवं टीकमगढ़ के कांस्य बर्तन/बेल मेटल वेयर, हिमाचल प्रदेश से कांगड़ा चाय, हिमाचली काला जीरा, चंबा रुमाल, चंबा चप्पल, कन्नौरी शॉल, हिमाचली टोपी, अम्मू तथा कश्मीर
से कश्मीर पश्मीना झारखंड से सोहराई – कोहबर चत्रकला, बगिया साड़ी एवं फैब्रिक्स राजस्थान
से जयपुर की ब्लू पॉटरी, कोटा डोरिया पंजाब से फुलकारी उत्तराखण्ड से प्राकृतिक फाईबर उत्पाद, ताम्र उत्पाद, बेरीनाग चाय, पिथौरागढ़ अन्य विभागीय स्टाल लगाये गये है। साथ ही सरकारी ऋण योजनाओं के 05 लाभार्थियों को ऋण वितरित किये गये तथा जीआई अथोराईज्ड यूजर को प्रमाण पत्र वितरित किये गये। धन्यवाद ज्ञापन उमेश कुमार सिंह, संयुक्त आयुक्त उद्योग द्वारा किया गया।
