बली का बकरा बने चौकी इंचार्ज और उनके साथी सिपाही
1 min readमहराजगंज,सुबह सवेरे खबर दी जाती है कि जनहित/प्रशानसिक हित में कोतवाल रवि कुमार राय और 13 सिपाहियों को लाइन हाजिर किया जाता है।
इसके तीन घंटे बाद यह खबर बतायी जाती है कि नगर चौकी प्रभारी प्रवीण सिंह व चार सिपाहियों अखिलेश चौधरी, प्रियंका सिंह आबिद अली और अखिलेश यादव को निलंबित कर दिया गया है।
इसके बाद शहर भर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया कि आखिर एक ही मामले में क्यों दो तरह की कार्यवाही की गयी? इसके अलावा दोनों एक्शन की अलग-अलग टाइमिंग को लेकर भी लोगो में बन गया चर्चा का विषय।
क्या इस मामले में कोई है… जो… जिले के दागी कोतवाल रवि कुमार राय को अप्रत्यक्ष तौर पर संरक्षण देते हुए बचाना चाहता है?
क्या इसमें उच्च अफसर के हस्तक्षेप के बाद कार्यवाही की जा रही है?
दो साल में जिले के 20 थानों में से लगभग हर जगह के थानेदार कई-कई बार बदल दिये गये लेकिन क्या कारण था कि मुख्यमंत्री की नजर में दागी बने थानेदार को लगभग दो साल तक शहर कोतवाल जैसी सबसे अहम कुर्सी पर बैठाये रखा गया?
क्या नगर चौकी प्रभारी ने शहर के इस चर्चित संगीन मामले में सारा निर्णय अकेले लिया? क्या कोतवाल रवि राय की कोई भूमिका नहीं थी? यदि नहीं थी तो फिर वो थानेदारी किस बात की कर रहे थे?
शहर के लोग इस दो तरफा कार्यवाही को पचा नहीं पा रहे हैं? लोग सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कोतवाल की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही के बावजूद क्यों कोतवाल को सिर्फ लाइन हाजिर किया गया और बलि का बकरा चौकी इंचार्ज प्रवीण सिंह और इनके साथी सिपाहियों अखिलेश चौधरी, प्रियंका सिंह आबिद अली और अखिलेश यादव को बना निलंबित किया गया? महकमे में अंदरखाने जबरदस्त चर्चा है कि विवादित कोतवाल की मनमानी कार्यशैली की वजह से 13 सिपाहियों को लाइनहाजिर व चौकी इंचार्ज समेत पांच को निलंबित होना पड़ा। क्या बिना शहर कोतवाल की मर्जी के इस मामले में चौकी प्रभारी और सारे सिपाही अपने आप ही निर्णय कर रहे थे? यदि ऐसा नहीं है तो फिर कोतवाल का निलंबन क्यों नहीं हुआ? क्यों नहीं इस संगीन मामले में विभागीय जांच का आदेश अब तक दिया गया ।
विकास कुमार यादव
तहसील प्रभारी महराजगंज AiN भारत NEWS की खास खबर