37 साल पुराने मुकदमे की हाई कोर्ट में सुनवाई, पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह को सजा दिए जाने की मांग

जनपद प्रयागराज:
37 साल पुराने मुकदमे की हाई कोर्ट में सुनवाई, पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह को सजा दिए जाने की मांग।
37 साल पहले पुराने मुकदमे की इलाहाबाद हाईकोर्ट में फाइनल सुनवाई चल रही है। मामला चंदौली जिले में हुए सामूहिक नरसंहार का है. जघन्य हत्याकांड में बरी हो चुके पूर्वांचल के बाहुबली पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह को सजा दिए जाने की मांग की गई है। निचली अदालत के फैसले को हीरावती नाम की महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। महिला की तरफ से वकील उपेंद्र उपाध्याय चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की खंडपीठ के सामने पेश हुए। उन्होंने मुकदमे के सबूतों और ट्रायल कोर्ट में हुई बहस को सिलसिलेवार ढंग से पढ़ा। हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 30 अक्टूबर को निर्धारित कर दी।
फिर चर्चा में 37 साल पुराना चंदौली नरसंहार
अगली सुनवाई में महिला के वकील की ओर से गवाही पढ़ी जाएगी. बहस पूरी होने के बाद बृजेश सिंह के वकील पक्ष रखेंगे।
बता दें कि बलुआ थाना के सिकरौरा गांव में 9 अप्रैल 1986 को सात यादवों की हत्या कर दी गई थी। बृजेश सिंह को 7 लोगों की हत्या का आरोपी बनाया गया था। वाराणसी जिला कोर्ट ने 2018 में सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया था। आरोपियों को गवाहों के बयान में विरोधाभास होने का फायदा मिला। ट्रायल कोर्ट और सेशन कोर्ट बृजेश सिंह को 2018 में बरी कर चुका है। निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो रही अंतिम सुनवाई
37 साल पहले हीरावती के पति, दो देवर और चार मासूम बच्चों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. बृजेश सिंह के खिलाफ वाराणसी स्थित बलुआ थाना में मुकदमा दर्ज किया गया था. आईपीसी की धारा 148, 149, 302, 307, 120बी एवं आर्म्स एक्ट में ब्रजेश सिंह को आरोपी बनाया गया. सामूहिक हत्याकांड में हीरावती की बेटी घायल हुई थी. याचिकाकर्ता की दलील है कि जिला कोर्ट ने बेटी के बयान पर गौर नहीं किया. पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं. हत्याकांड का चश्मदीद गवाह मौजूद होने के बावजूद पुलिस किसी को भी सजा नहीं दिला पाई. हाईकोर्ट में 37 साल पुराने मामले की सुनवाई शुरू होने से चंदौली का सामूहिक हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।।