November 7, 2025 11:36:28

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माँ रूपादे का सामाजिक समरसता का संदेश जीवन को आज़ भी नई दिशा दे रहे हैं – जगतगुरु शंकराचार्य श्री नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज

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माँ रूपादे का सामाजिक समरसता का संदेश जीवन को आज़ भी नई दिशा दे रहे हैं – जगतगुरु शंकराचार्य श्री नरेंद्रानंद सरस्वती महाराज

विश्व विख्यात पालियाधाम में मां रूपादे के दर्शनों ने मन को मोह लिया :- जगतगुरु शंकराचार्य

AINभारतNEWS राजस्थान से बालोतरा जिला ब्यूरो मांगीलाल मालू की ख़ास खबर

बालोतरा (तिलवाड़ा)
निकटवर्ती श्री राणी रूपादे मंदिर (पालिया) पधारे सुमेरुपीठ काशी जगतगुरु शंकराचार्य श्री नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज
मंदिर पधारने पर जगतगुरु शंकराचार्य का श्री रावल मल्लीनाथ श्री राणी रूपादे संस्थान अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल व कुंवर हरिश्चन्द्रसिंह जसोल ने संस्थान की ओर से किया भव्य स्वागत

इस दौरान शंकराचार्य श्री नरेंद्रानंद सरस्वती जी ने समस्त सनातन धर्मप्रेमियों को किया संबोधित उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ईश्वरीय भावना का मतलब ईश्वर आपके साथ या आपके हर्दय में विराजमान है।
शंकराचार्य ने कहा कि जब कोई असंभव कार्य करते समय आपको कोई नई शक्ति का अनुभव होता है, वह नई ऊर्जा ही आज आपके भीतर घूम रही है, जिससे वह असंभव कार्य संभव हो पाया है। इस ऊर्जा शक्ति को ही ईश्वरीय अनुभव कहा जाता है। जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि जब कोई चमत्कार जैसा कार्य आपके सामने होता है तो यह समझना चाहिए कि आपकी कुछ प्रार्थना स्वीकार हो रही है, यह सब ईश्वर की अनुभूति से होती है।
जगतगुरु शंकराचार्य ने कहा कि तिलवाड़ा स्थित विश्वविख्यात पालियाधाम जहां मां रूपादे जी, मालाजाल में मालाणी के महादेव श्री रावल मल्लीनाथ जी के दर्शनों से आनन्द की अनुभूति होती है। माँ रूपादे का सामाजिक समरसता सन्देश आज भी जीवन को नई दिशा देते है। उन्होंने कहा कि रावल किशनसिंह जसोल ने अपने क्षेत्र में अपने पूर्वजों के धार्मिक स्थलों का जिस प्रकार विकास करवाया उसके लिए में उनको साधुवाद देता हूँ। शंकराचार्य ने कहा कि रावल किशन सिंह जसोल कोई कार्य करने की यदि यह ठान लेते है, तो उसे उसी नीति संगत से पूरा कर समाज में अनूठा उदाहरण भी पेश करते है। संस्थान ने रावल साहब के मार्गदर्शन में समय समय पर अनेकों सामाजिक कार्यों का भी निर्वहन किया जा रहा है, उन्होंने दर्शन के दो अलग-अलग अर्थ बताते हुए कहा कि एक चक्षु दर्शन अर्थात अपनी आंखों से ईश्वर को देखना यह संभव नहीं है, क्योंकि देखने के लिए कोई वस्तु और उसका आकार होना चाहिए, ईश्वर निराकार है। ऐसे में हम दर्शन को चक्षु दर्शन नहीं कह सकते, यहां दर्शन का अर्थ दार्शनिक चिन्तन होता है। अपने अवचेतन मन से आप ईश्वर के स्वरूप को समझने की कोशिश करें और जाने कि आत्मा और परमात्मा एक हैं। यह एकता ही ईश्वर है। इसको ईश्वर दर्शन कहते हैं, ईश्वर दर्शन के विशेष लाभ जो हमारी समझ से भी परे हैं। इस विषय में गहराई से गोता लगाकर आप इसकी सुंदरता और महत्व को समझें और जानें कि कैसे एक ईश्वर-रूपी साक्षात गुरु से यह दुर्लभ आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।

गौसेवा को देख जगतगुरु शंकराचार्य हुए अभिभूत
मालाणी क्षेत्र की धार्मिक यात्रा पर पधारे जगतगुरु शंकराचार्य श्री नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने आज पालियाधाम व मालाणी

के महादेव श्री रावल मल्लीनाथजी (मालाजाल) के दर्शन कर श्री मल्लीनाथ गौशाला समिति पधारकर जगतगुरु शंकराचार्य ने गायों को हरा चारा व गुड़ खिलाकर, गौशाला में गौमाता के सेवा कार्यों व व्यवस्थाओं का किया अवलोकन, इस दौरान समिति अध्यक्ष रावल किशनसिंह जसोल को समिति के द्वारा करवाए जा रहे नेक सनातन धार्मिक कार्य के लिए जगतगुरु शंकराचार्य ने दी शुभाशीष।

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