बनारस रेल इंजन कारखाना लोकोमोटिव तैयार करके अपनी यात्रा शुरू कर रेल इंजनों के उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित किया है
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बनारस रेल इंजन कारखाना लोकोमोटिव तैयार करके अपनी यात्रा शुरू कर रेल इंजनों के उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित किया है।
रिपोर्ट जमील अख्तर वाराणसी
बनारस रेल इंजन कारखाना जिसे पहले डीजल रेल इंजन कारखाना के नाम से जाना जाता था ने ए एल सी ओ लोको तकनीक पर आधारित पहला लोकोमोटिव तैयार करके अपनी यात्रा शुरू कर न केवल रेल इंजनों के उत्पादन में कीर्तिमान स्थापित किया है बल्कि रेल इंजनों की अश्व शक्ति में वृद्धि के साथ ही नयी नयी तकनीक का भी विकास किया है। वर्ष 2017 से बरेका ने विद्युत लोको का निर्माण शुरू किया। वर्तमान में बरेका रेलवे के लिए यात्री सेवा हेतु डबलू ए पी 7और मालवाहक हेतु डबलू ए जी 9 इंजनों के निर्माण के साथ ही गैर रेलवे ग्राहकों एवं निर्यात के लिए रेल इंजन का उत्पाादन कर रहा है। अब तक बरेका 1687 विद्युत लोकोमोटिव 7498 डीजल लोकोमोटिव 172 निर्यातित लोकोमोटिव गैर रेलवे ग्राहक हेतु 634 लोकोमोटिव 01 डुएल डीजल+विद्युत मोड लोकोमोटिव 08 डीजल से इलेक्ट्रिक में परिवर्तित लोकोमोटिव का निर्माण किया है।
उल्लेखनीय है कि बरेका की नीव प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने 23 अप्रैल 1956 को रखी गयी थी। अगस्त 1961 में बरेका अपने अस्तित्व में आया। 03 जनवरी 1964 में पहला ब्राड गेज डबलू डी एम 2 का लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादूर शास्त्री ने एवं नवम्बर 1968 में पहले मीटर गेज रेल इंजन वाई डी एम 4 का लोकार्पण पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने किया था। बरेका ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक 10,000 रेल इंजन बनाकर एक इतिहास रचा है।
10,000वां एसी-एसी 6000 अश्व शक्ति पैसेंजर लोकोमोटिव डबलु ए पी 7-37638 जो आरटीआईएस वास्तविक समय सूचना प्रणाली गर्मियों के लिए वातानुकूलित ड्राइवर कैब सर्दियों के दौरान ड्राइवर के लिए गर्म हवा का प्रावधान एच ओ जी ट्रेन लाइटिंग के लिए हेड ऑन जेनरेशन रिजेनरेटिव ब्रेक सिस्ट्म जैसी प्रमुख विशेषताओं से सुसज्जित है जिसकी स्पीड 140 किमी प्रति घंटा है।
