तारीख़ पर तारीख़ का दौर ख़त्म… देश, 1872 व् 1860 में अंग्रेजों द्वारा बनाये क़ानून से मुक्त हुआ…
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तारीख़ पर तारीख़ का दौर ख़त्म… देश, 1872 व् 1860 में अंग्रेजों द्वारा बनाये क़ानून से मुक्त हुआ…
आज से भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू
▫️FIR दर्ज करने से लेकर फैसला सुनाने तक समय सीमा तय।
▫️इलेक्ट्रानिक साक्ष्य अब कानून का हिस्सा होंगे।
▫️देश में पहली बार आतंकवाद परिभाषित हुआ।
▫️राजद्रोह की जगह देशद्रोह को बना अपराध।
▫️माब लिंचिंग हुई तो आजीवन कारावास या मौत की सजा।
▫️पीड़ित कहीं भी दर्ज करा सकेंगे FIR, जांच की डेवलपमेंट रिपोर्ट भी मिलेगी।
▫️तलाशी और जब्ती में आडियो वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य।
▫️स्टेट गवर्मेंट एकतरफां केस वापस नहीं ले सकेगी, पीड़ित का पक्ष सुना जाएगा।
▫️FIR, केस डायरी, चार्जशीट और जजमेंट सभी डिजिटल होंगे।
▫️शिकायत मिलने के 3 दिन में दर्ज करनी होगी FIR।
▫️3 से 7 साल की सजा में 14 दिन में जांच पूरी करनी होगी।
▫️छोटे अपराधों में जल्द निपटारे के लिए “समरी ट्रायल” (छोटी प्रक्रिया में निपटारा) का प्रविधान
▫️35 जगह टाइमलाइन जोड़ी गई है, आपराधिक ट्रायल तेज़ होगा।
▫️ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फ़ैसला देना होगा।
