हिंदी नववर्ष के समर्थन और यूरोपीय नववर्ष के विरोध से दुनिया के कालक्रम को सुधारना संभव: प्रदेश मिडिया प्रभारी दीपक त्रिपाठी
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हिंदी नववर्ष के समर्थन और यूरोपीय नववर्ष के विरोध से दुनिया के कालक्रम को सुधारना संभव: प्रदेश मिडिया प्रभारी दीपक त्रिपाठी
मिर्जापुर।
विश्व हिंदू महासंघ गोरक्षा प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश के प्रदेश मिडिया प्रभारी दीपक त्रिपाठी ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से भारत सरकार से अपील किया है कि हिंदी कालगणना के अनुरूप कैलेंडर संचालित किया जाय ताकि ऋतुओं और कालखंड का मेल बना रहे और हमारे वैज्ञानिकता का प्रमाण दुनिया देखे और सीखे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों द्वारा बनाया गया कालक्रम कितना त्रुटिपूर्ण है, इसकी तुलना में हिन्दुओं का कालक्रम लाखों वर्ष पुराना है, जिसमें कोई त्रुटि नहीं है और यह कालक्रम पूर्ण है। हिन्दू कालक्रम का वैज्ञानिक आधार भी है। तब भी यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश अंग्रेजों द्वारा तैयार किए गए दोषपूर्ण कालक्रम का उपयोग कर रहा है और हिंदू कालक्रम जो परिपूर्ण है उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है, इस पर विचार करने की आवश्यकता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष के साथ वसंत ऋतु का भी आरंभ हो जाता है जो उल्लास, उमंग, खुशी और चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है, इसके अलावा चैत्र महीने में फसल बौरा जाती है यानी साल की शुरुआत लोगों के मेहनत का फल मिलने लगता है, चैत्र महीने के पहले दिन नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं जिसे आसान भाषा में समझे तो इस दिन किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त होता है। ब्रह्म पुराण में कहा गया है कि इसी दिन यानी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की थी, वैदिक गणना के अनुसार 1 अरब 14 करोड़ 58 लाख 85 हजार 123 साल पहले चैत्र माह की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन संसार का निर्माण हुआ था, यह कारण भी है कि इस दिन हिंदी नववर्ष मनाया जाता है, इसके अलावा विक्रमादित्य ने अपने नाम से संवत्सर की शुरुआत भी चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही की थी, हिंदी नववर्ष को विक्रमी संवत्सर इसी कारण कहा जाता है, इस साल विक्रम संवत को 2079 वर्ष पूरे हो रहे हैं और विक्रम संवत 2080 लग रहा है। चैत्र महीने में नववर्ष मनाए जाने का एक कारण ये भी है कि यह महीना प्रकृति की दृष्टि से भी धरती के शुरुआत होने का आभास कराता है, इस समय पेड़ों लताएं और फूल बौरा जाते हैं, इस महीने में सुबह के समय का मौसम भी बहुत अच्छा होता है, सुबह भौरों की मधुरता भी होती है। सनातन चंद्रमा और सूरज को देवता मानता है और चैत्र महीने में ही चंद्रमा की कला का प्रथम दिन होता है, ये कारण भी है कि इसी दिन नववर्ष मनाया जाता है, ऋषियों मुनियों ने नववर्ष के लिए चैत्र महीने को हर दृष्टिकोण और विधाओं से एकदम उपयुक्त माना है। चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को श्रीराम ने जन्म लिया था, इसी दिन को रामनवमी मनाया जाता है, वहीं राम जी के इसी महीने में जन्म लेने की वजह से भी इस महीने का महत्व और बढ़ जाता है, इसके अलावा शक्ति और भक्ति के नौ दिन यानी नवरात्र का पहला दिन चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष से ही शुरू होता है। वैसे ये कोई संयोग नहीं है कि हर कुछ नवरात्रि के प्रथम दिन से ही शुरू हो जाता है, बल्कि प्रकृति प्रदत्त वरदान के कारण ही फल, फूल, लताएं, सौंदर्य, जीवों का मस्तमौला होना, लोगों में उमंग, ठंडी-गर्मी और बरसात विहीन मौसम, सांस्कृतिक पूर्णता प्राकृतिक होता है। इसमें कोई शक नहीं है कि हिंदी नववर्ष यानी हिंदी महीने के अनुसार ऋतुराज बसंत से खिलखिलाते प्रकृति द्वारा नवीन दर्शन से नववर्ष की शुरुआत हर ऋतुओं को उसके निर्धारित महीने में हर वर्ष समायोजित होता है जो सिर्फ कालगणना ही नहीं प्रकृति का प्रदर्शन एकही समय हर वर्ष होता है जबकि यूरोपीय नववर्ष हमारे ही कालगणना की नकल से बनाया गया सिर्फ एक मानक अवधि को इंगित करता है जिसका कालगणना या समय अथवा ऋतुओं से कोई मेल नहीं है, जो हर समय ऋतु भिन्नता के साथ चलता है। उन्होंने लोगों से अपील किया कि यदि सरकारें हिंदी कैलेंडर को न भी मान्यता दें तो भी पुरखों की भांति हमें हर कार्य हिंदी कैलेंडर से ही करना चाहिए और यूरोपीय नववर्ष का विरोध करके हिंदी नववर्ष बड़े उल्लास से मनाया जाना चाहिए।।
