यूरोप की नदियों को मां गंगा जैसा बनाने की तैयारी, यूपी के पद्मश्री वैज्ञानिक को बुलाया स्पेन
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अब यूपी से सीखेगा यूरोप
यूरोप की नदियों को मां गंगा जैसा बनाने की तैयारी, यूपी के पद्मश्री वैज्ञानिक को बुलाया स्पेन
गंगा जल के अल्कलाइन वॉटर से ज्यादा शुद्ध साबित होने के बाद पूरी दुनिया में तहलका
50 यूरोपियन देशों में भी जगी मां गंगा की अद्भुत क्षमता से सीखने की ललक
मुख्यमंत्री योगी के महाकुम्भ में किए महाआयोजन से गंगा नदी को लेकर अभिभूत यूरोपियन कंट्री
जलीय कृषि के तकनीकी और व्यवहारिक पहलुओं पर नवीनतम शोध और जांच करने के लिए जुट रहे अंतर्राष्ट्रीय पेशेवर
दुनिया में किसी ने भी शिकायत नहीं की कि गंगा स्नान से उन्हें स्वास्थ्य हानि हुई : डॉ सोनकर
लखनऊ, 22 मार्च : मां गंगा की अद्भुत क्षमता से प्रभावित होकर यूरोप के 50 देश अब उत्तर प्रदेश से सीखने के लिए तैयार हैं। यूरोपीय देशों ने गंगा नदी के प्राकृतिक गुणों को जानने और जलीय कृषि के क्षेत्र में भारत की उन्नत तकनीकों को समझने और अपनाने की इच्छा जताई है। यूरोप इसके लिए स्पेन में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। जिसमें दुनिया भर के वैज्ञानिक और जलीय कृषि विशेषज्ञ शामिल होंगे। खास बात ये है कि इस आयोजन के विशिष्ट अतिथि यूपी के प्रयागराज निवासी पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ अजय सोनकर हैं। जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मां गंगा की स्वच्छता और दिव्यता को लेकर दिए वक्तव्य को अपनी प्रयोगशाला में सही साबित कर दिखाया है।
गंगा की अद्भुत शक्ति से अभिभूत यूरोपियन कंट्री
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महाकुम्भ में किए गए महाआयोजन के बाद से गंगा नदी को लेकर यूरोपियन कंट्री अभिभूत है। भारत के महानतम वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके पद्मश्री वैज्ञानिक डॉक्टर अजय कुमार सोनकर से सीखने के लिए यूरोप ने विशेष निमंत्रण भेजा है। वहीं, डॉ सोनकर का कहना है कि दुनिया में किसी ने भी यह शिकायत नहीं की कि गंगा स्नान से उन्हें लेशमात्र भी स्वास्थ्य हानि हुई है। जबकि कुछ लोगों ने गंगा जल को लेकर नेगेटिविटी फैलाने की कोशिश जरूर की। लेकिन उन्हें मुंह की खानी पड़ गई। डॉ सोनकर का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने गंगा की अद्भुत शक्ति को प्रभावित नहीं होने दिया।
गंगा की पवित्रता की अद्भुत शक्ति कल्पना से कहीं अधिक दिव्य
डॉ सोनकर के अनुसार महाकुम्भ के दौरान यह बात सच साबित हुई है कि गंगा की पवित्रता की अद्भुत शक्ति कल्पना से कहीं अधिक दिव्य है। हिमालय से अवतरित होकर गंगा नदी कई राज्यों और घनी आबादी वाले क्षेत्रों से गुजरती हुई उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में त्रिवेणी संगम तक पहुंचती है। लेकिन उसकी स्वयं को शुद्ध करने की शक्ति अद्वितीय बनी रहती है। 30 लाख लोगों की क्षमता वाले प्रयागराज में 66 करोड़ से अधिक लोग पवित्र जल में स्नान कर धन्य हुए।
मुख्यमंत्री योगी का उत्कृष्ट प्रबंधन अद्वितीय, जिसकी चर्चा विश्व भर में
डॉ सोनकर ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी का उत्कृष्ट प्रबंधन अद्वितीय रहा। जिसकी चर्चा विश्व भर में है। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ के महाकुम्भ प्रबंधन की खूबसूरती तब सामने आई, जब वैज्ञानिक अनुसंधान में गंगा जल को अल्कलाइन वॉटर से ज्यादा रोगाणु मुक्त और शुद्ध पाया गया। जबकि विद्वेषपूर्ण भावना से प्रेरित कुछ ताकतें गंगा के दिव्य जल को दूषित साबित करने में लगी हुई थीं। आम लोगों से लेकर देश-विदेश के विशिष्ट व्यक्तियों तक ने महाकुम्भ में डुबकी लगाई और सभी धन्य हुए। किसी ने भी यह शिकायत नहीं की कि स्नान से उन्हें लेशमात्र भी स्वास्थ्य हानि हुई।
शोध के दौरान तमाम नई जानकारी व रहस्यों का हुआ खुलासा
डॉ अजय सोनकर ने बताया कि महाकुम्भ में शोध के दौरान तमाम नई जानकारी व रहस्यों का पता चला है। जिससे मालूम होता है कि भविष्य में गंगा नदी व अन्य जल स्रोतों के प्राकृतिक स्वरुप को बचाए रखने के लिए किन उपायों की आवश्यकता है।
डॉ सोनकर ने कहा कि वे अपने शोध के वैज्ञानिक परिणाम से सभी को अवगत कराना चाहते हैं। ताकि गंगा की महान प्राकृतिक शक्ति को सुरक्षित रखने की योजनाएं और प्रभावी बनाई जा सकें।
यूरोपीय जलीय कृषि सोसायटी ने भारत के वैज्ञानिक को आमंत्रित किया
यूरोपीयन एक्वाकल्चर सोसाइटी (ईएएस), एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संघ है। जिसने भारत से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर को आमंत्रित किया है। डॉ. सोनकर ने गंगा नदी में जीवाणुभोजी विविधता (बैक्टीरियोफेज डायवर्सिटी) पर शोध के जरिए गंगा जल की शुद्धता को प्रयोगशाला में साबित किया है। उनके शोध के अनुसार गंगा नदी में मौजूद जीवाणुभोजी प्रदूषित जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में रोगजनक बैक्टीरिया के खिलाफ एक प्राकृतिक संरक्षक का काम करते हैं। यह शोध एक्वाकल्चर यूरोप पत्रिका के आगामी मार्च संस्करण में प्रकाशित करने की भी तैयारी चल रही है।
गंगा की खूबियों को यूरोप की नदियों में अपनाने की चाह
यूरोपीय देशों ने गंगा नदी की प्राकृतिक खूबियों को अपनी नदियों में भी लाने की इच्छा जताई है। डॉ. सोनकर के शोध के शुरुआती निष्कर्षों को आकर्षक और जल निकायों के प्रबंधन व संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यूरोपियन एक्वाकल्चर सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक एलिस्टेयर लेन ने डॉ. सोनकर को एक पत्र लिखकर उन्हें एक्वाकल्चर यूरोप 2025 (AE2025) सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। यह सम्मेलन 22-25 सितंबर 2025 को स्पेन के वेलेंसिया शहर में आयोजित किया जाएगा।
एक्वाकल्चर यूरोप 2025 : जलीय कृषि का वैश्विक मंच
AE2025 सम्मेलन और प्रदर्शनी में दुनिया भर से जलीय कृषि के विशेषज्ञ और वैज्ञानिक शामिल होंगे। इस सम्मेलन में जलीय कृषि के तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं पर नवीनतम शोध और जांच प्रस्तुत की जाएगी। डॉ. सोनकर को इस सम्मेलन में अपने शोध का सार प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। उनकी विशेषज्ञता और उपस्थिति से न केवल सम्मेलन को लाभ होगा बल्कि भारत में जलीय कृषि और जल प्रणालियों के प्रबंधन के लिए भी नई दिशा मिलेगी।
